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ह्यूमेटोलॉजी डिसआर्डर एंटी फॉसफालिपिड सिंड्रोम से पीड़ित महिला का एम्स के चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक प्रसव कराया।

रायपुर । एम्स के तीन विभागों के चिकित्सकों ने मिलकर दुर्लभ ह्यूमेटोलॉजी डिसआर्डर एंटी फॉसफालिपिड सिंड्रोम से पीड़ित महिला का सफलतापूर्वक प्रसव कराया है। महिला रायपुर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में शिक्षिका हैं। माता और नवजात पुत्री दोनों स्वस्थ हैं। 39 वर्षीय यह शिक्षिका  मस्तिष्क से गले में आ रही एक नस में रक्त के थक्के होने के कारण रोगग्रस्त थी। महिला पूर्व में चार बार गर्भवती हो चुकी थी, परंतु दुर्लभ बीमारी के कारण उनका गर्भपात हो गया। 

मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार, एक बार सात माह के गर्भ का ही सिजेरियन करना पड़ा। महिला रोगी ने छह माह पूर्व एम्स के गायनोकोलॉजी विभाग और मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों से संपर्क किया।उस समय महिला दो माह की गर्भवती थी। इस दौरान उन्हें छह महीने तक प्रतिमाह लगभग एक लाख रुपए कीमत का इंजेक्शन भी लगाया गया, जो एम्स में इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित रोगियों को निशुल्क प्रदान किया जाता । 

इंजेक्शन से रखा गया स्थिर

मेडिसिन विभाग के ह्यूमेटोलॉजिस्ट डॉ. जॉयदीप सामंता और गायनी विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनिता सिंह ने बताया, रोगी को ब्लड थिनर और इंजेक्शन के माध्यम से स्थिर रखने का प्रयास सफल रहा। पांच दिन पूर्व महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया, जिसे नियोनेटोलॉजी विभाग के डॉ. फाल्गुनी पाढ़ी के निर्देशन में रखा गया। अब महिला और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। डॉ. विनिता सिंह ने बताया कि इस प्रकार के दुर्लभ रोग से ग्रस्त महिलाएं एम्स के महिला रोग विभाग में नियमित रूप से आ रही हैं।

जीवनभर देना होता है ब्लड थिनर

डॉ. जॉयदीप ने बताया कि, एंटीफॉसफालिपिड सिंड्रोम ऑटो इम्यून रोग है। इसके युवा महिलाओं को होने की ज्यादा संभावना होती है। यह बीमारी एक लाख लोगों में से 50 को होने की संभावना होती है। इसमें रोगी को रक्त के थक्के जमा हो सकते हैं और गर्भावस्था में परेशानी हो सकती है। वर्तमान में इसके 20 रोगी एम्स में चिकित्सा प्राप्त कर रहे हैं। इस बीमारी का जीवनभर रक्त थिनर के माध्यम से इलाज होता है। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. विनय पंडित ने बताया, ह्यूमेटोलॉजी रोगों के संबंध में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इसका उपचार उपलब्ध है।

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