रायपुर। प्रदेश में साढ़े पांच हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक ही शिक्षक है। 610 स्कूलों में तो शिक्षक ही नहीं हैं। राज्य के स्कूलों में 7300 से ज्यादा अतिशेष शिक्षक हैं। 4077 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण होने से भी करीब 5000 अतिशेष शिक्षक मिलेंगे। दोनों को मिलाकर 12000 अतिशेष शिक्षक विभाग को मिलते। इन शिक्षकों को 5500 से अधिक एक शिक्षकीय स्कूल और 610 स्कूल जहां एक भी शिक्षक नहीं है, वहां पदस्थ करने की योजना बनाई गई थी। शिक्षक संगठनों के विरोध के कारण शिक्षा विभाग इसे फिलहाल लागू करने से पीछे हट गया है।
4077 स्कूलों को मर्ज करने का था प्लान
छत्तीसगढ़ में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के तहत शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण के लिए चिन्हित किए गए 4077 स्कूलों को 16 सितंबर तक मर्ज करने का आदेश दिया गया था। जिला स्तर पर कलेक्टर और तहसील स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। डीपीआई दिव्या मिश्रा ने सभी डीईओ को पत्र जारी कर 4077 स्कूलों की चल-अचल संपत्ति के साथ ही अभिलेखों के हस्तांतरण के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा- निर्देश जारी किए थे।
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बस्तर में दर्जनों स्कूलों में शिक्षक हीं नहीं, सैकड़ों में केवल एक
जगदलपुर । बस्तर के सैकड़ों एकल शिक्षक शाला और दर्जनों शिक्षकविहीन शालाओं में नियुक्ति पर सवालिया निशान लग गए। बास्तानार ब्लॉक में 4 ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। एक हायर सेकंडरी स्कूल पटेल पारा काकलुर व 3 माध्यमिक व प्राइमरी शाला करका पारा काकलुर हुंगापारा काकलुर और कांडकीपारा कापानार सम्मलित है। इस बात की पुष्टि बास्तानार के बीईओ निषाद ने की। तोकापाल में कुल 261 स्कूल में 48 शाला एकल शिक्षकीय है और एक प्राथमिक शाला टिकरा धनोरा शिक्षकविहीन है। इसकी पुष्टि बीईओ पूनम सलाम ने की है। लोहंडीगुड़ा ब्लाक के एकलशिक्षकीय शाला की संख्या 16 है। बस्तर ब्लाक में 540 स्कूल में 60 स्कूल एकलशिक्षकीय और 1 शिक्षकविहीन शाला है। इस बात की पुष्टि बस्तर ब्लाक के बीआरसी राजेन्द्र ठाकुर ने की। दरभा में 204 स्कूलों में 52 एकलशिक्षकीय और 11 शिक्षकविहीन स्कूल हैं।
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3500 स्कूलों में राष्ट्रीय मानक से कम बच्चे
मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के 3500 से 4 हजार स्कूलों में राष्ट्रीय मानक के हिसाब से कम बच्चे हैं। राष्ट्रीय मानक के अनुसार 20 बच्चे होने पर एक स्कूल खोला जा सकता है। करीब 3500 स्कूल ऐसे हैं, जहां दो- दो, चार-चार बच्चे हैं। ऐसे स्कूलों के शिक्षकों के वेतन पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहा है। बताया गया है कि इनमें से अधिकतर स्कूल एक ही कैंपस में हैं। उन्हें आपस में मर्ज किया जाएगा, तो स्कूल मर्ज करने का सवाल नहीं उठेगा। 150 स्कूल ऐसे होंगे, जिनमें पांच से सात बच्चे हैं और उन्हें पास के गांवों में युक्तियुक्तकरण कर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी।