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चाहे पंचायत का चुनाव हो या विधानसभा या फिर लोकसभा का चुनाव, पूरी शिद्धत के साथ एक दिन पहले वोट डालने गांव से निकलते हैं।

शेख हसन खान - मैनपुर। गरियाबंद जिले मैनपुर में पहाड़ी के ऊपर बसे हैं कमार आदिवासी। वैसे तो इन्हें सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिला। न पक्की सड़क न पानी और न बिजली जैसी सुविधाएं। लेकिन इतना सहने के बाद भी इनका लोकतंत्र  पर पूरा  भरोसा हैं। चाहे पंचायत का चुनाव हो या विधानसभा या फिर लोकसभा का चुनाव, पूरी शिद्धत के साथ एक दिन पहले वोट डालने गांव से निकलते हैं। घोड़ों पर सामान लादते हैं, परिवार को साथ ले जाते हैं और कभी दूसरे दिन कभी तीसरे दिन लौट जाते हैं। 

चुनाव के एक दिन पहले गांव के मतदाता पैदल पहाड़ी रास्ते के सहारे कुल्हाडीघाट 25-30 किलोमीटर पैदल सफर कर आते हैं। रात्रि विश्राम कुल्हाडीघाट में करते हैं साथ ही मतदान करने के बाद दूसरे दिन फिर पैदल अपने ग्रामों के तरफ वापस जाते हैं। घने जंगलों और पहाडियों के कारण सरकारी योजनाओ का लाम यहां के ग्रामीणों को नही मिल पा रहा है। आने और जाने में इन्हें करीब 40 से 50 किलोमीटर तक का सफर करना पड़ता है। 

पेड़ के नीचे, आंगनबाड़ी में रुक जाते हैं

ग्रामीणों ने बताया कि, अब तक कोई भी राजनीतिक पार्टी के नेता तो बहुत दुर कार्यकर्ता भी हमारे गांव में वोट मांगने के लिए नही पहुंचे है, ग्राम पंचायत के सचिव प्रेम ध्रुव और बीएल ओ सुखराम नागेश पिछले दिनों पहुंचे थे, उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव है जिसके मतदान के लिए ग्रामीण 25 अप्रैल को पैदल ग्राम कुल्हाडीघाट शाम तक पहुंचेंगे और 26 अप्रैल को मतदान करने के बाद 27 अप्रैल तक अपने ग्राम वापस लौटेंगे ग्रामीणों ने बताया कि मतदान हमारा अधिकार है। हम लोग हर चुनाव में मतदान करने आते हैं साथ ही अपने साथ भोजन की भी व्यवस्था लेकर आते हैं, कोई व्यवस्था नही किया जाता उन्होने बताया कि कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहा रूक जाते हैं। कई लोग पेड़ के नीचे तो कुछ लोग स्कूल आंगनबाडी में आश्रय लेते हैं। 

राशन सामग्री के लिए घोड़े का उपयोग

यहां के लोगों राशन ले जाने के लिये घोड़े का उपयोग करना पड़ रहा है। दुर्गम रास्ते एवं सड़क के अभाव में पिछले कई वर्षों से राशन सामग्री के लिये आदिवासी कमार जनजाति के लोगों का एकमात्र सहारा घोड़ा ही है।

सरपंच ने कहा- वोट के लिए एक दिन पहले निकलेंगे

ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट की सरपंच धनमोति सोरी, पूर्व सरपंच बनसिंग सोरौरी ने बताया कि गांवों में सड़क नहीं है इसलिए ग्रामीण घोडे के सहारे राशन सामग्री कुल्हाडीघाट से पहाड़ी के गांव तक ले जाते हैं। वोटिंग के लिए एक दिन पहले निकलते हैं और दूसरे दिन गांव लौटते हैं क्योंकि आते आते शाम हो जाती है ऐसे में रात को लौटना ठीक नहीं होता। सचिव प्रेमलाल ध्रुव ने बताया ग्रामीण मतदान करने 20 से 5 किलोमीटर पैदल आते हैं। पहाड़ी के ऊपर गांव में लगभग 350 मतदाता हैं।

360 के आसपास मतदाता

कुल्हाडीघाट पहाडी के उपर ताराझर मटाल कुर्वापानी भालूडिग्गी में 360 के आसपास मतदाता है जो मतदान करने के लिए पैदल कुल्हाडीघाट पहुंचेंगे। इसी तरह मैनपुर विकासखंड अमली ग्राम के ग्रामीण 15 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करने इंदागांव पहुंचते हैं, डूमरघाट ग्राम के ग्रामीण 12 किलोमीटर बरदुला बोरीगांव मतदान करने पहुंचेंगे, मैनपुर ब्लॉक में दर्जनों ऐसे ग्राम हैं जहां की ग्रामीणों को आज भी मतदान करने के लिए 5 से 10 किलोमीटर पैदल ही आना पड़ता है।

इनकी आपबीती जानिए 

ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट पहाड़ी के उपर बसे इसके आश्रित ग्राम ताराझर, कुरुवापानी, मटाल, भालूडिग्गी। सरकारी राशन दुकान कुल्हाडीघाट में राशन लेने के लिए पहुंचे थे ग्रामीण जयसिंह कमार, राजमन कमार, चरणसिंह कमार, परमेश्वर कमार, सुंदर कमार, सीताराम कमार, दुलेश्वरी मरकाम, जगनी बाई सोरी, मोहनी सोरी एंव भागवती ने बताया कि हर चुनाव में मतदान करने के लिए पैदल आते हैं और उन्हे तीन दिन का समय लग जाता है।

 

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