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दुर्ग रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर बैठे सभी बच्चों पर आरपीएफ टीम की नजर पड़ी। पूछताछ में बच्चों ने अपने साथ किसी व्यस्क के न होने की जानकारी दी।

रायपुर। हैदराबाद के बालाजी गुरुकुल से बिना किसी व्यस्क जिम्मेदार व्यक्ति के अंबिकापुर भेजे जा रहे 12 बच्चों को चाइल्ड लाइन ने आरपीएफ के साथ मिलकर दुर्ग रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू किया है। सभी बच्चे सिकंदराबाद- रायपुर एक्सप्रेस से दुर्ग तक आए थे और दुर्ग से अंबिकापुर एक्सप्रेस से अंबिकापुर जाने वाले थे। इसी दौरान दुर्ग रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर बैठे सभी बच्चों पर आरपीएफ टीम की नजर पड़ी। पूछताछ में बच्चों ने अपने साथ किसी व्यस्क के न होने की जानकारी दी। इस पर आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन को जानकारी दी और बच्चों को रेस्क्यू कर उन्हें सीडब्ल्यू के समक्ष पेश किया। वहां से बच्चों को बाल गृह में भेजा गया है।

गुरुकुल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही

सभी बच्चों को स्टेशन के विशेष कक्ष में ले जाया गया और चाइल्ड लाइन को बुलाकर सौंपा गया। दुर्ग स्टेशन पर मिले सभी 12 बच्चे देश के विभिन्न प्रदेशों से हैं। इसमें तीन बच्चे झारखंड, दो नागालैंड, एक असम और छह बच्चे छत्तीसगढ़ के हैं। इनमें छत्तीसगढ़ के तीन बच्चे रायगढ़, एक पेंड्रा, एक बलौदा बाजार, एक जशपुर का 1 है। इस मामले में गुरुकुल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। रेस्क्यू किए गए बच्चों की उम्र छह से 16 साल है। यदि बच्चे कहीं भटक जाते या किसी अन्य दुर्घटना का शिकार हो जाते, तो इसका जिम्मेदार कौन होता? फिलहाल अभी सीडब्ल्यूसी की टीम मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है।

परिवार वालों से संपर्क करेंगे

बाल कल्याण समिति के सदस्य मंजुला देशमुख ने बताया कि, सभी बच्चे अलग-अलग प्रदेश के है। वहां की चाइल्ड लाइन उन बच्चों के परिवार वालों से संपर्क करेगी और सामाजिक जांच के बाद बच्चों को यहां से उनके शहर भेजकर परिवार वालों को सौंपेगी।

चाइल्ड लाइन को सौंपा गया

आरपीएफ प्रभारी एसके सिन्हा ने बताया कि ,आरपीएफ और सीआईबी की टीम सर्चिग कर रही थी। तभी बच्चों पर नजर पड़ी, बातचीत में बच्चों ने बताया कि उनके साथ कोई व्यस्क नहीं आया है, तो चाइल्ड लाइन को बुलवाकर सुरक्षार्थ उन्हें सौंपा गया।

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