रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक बड़ा निर्देश दिया है। अब राज्य में चावल उद्योग को प्रोत्साहित करने और गैर-बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चावल निर्यातकों को मण्डी शुल्क और कृषक कल्याण शुल्क से छूट देने का निर्णय लिया है। यह छूट उन निर्यातकों को मिलेगी जो राज्य के राइस मिलर्स और मंडियों के माध्यम से खरीदे गए धान से तैयार गैर-बासमती चावल का निर्यात करेंगे।
शुल्क में छूट देने का उद्देश्य
छत्तीसगढ़ से गैर बासमती चावल निर्यात को बढ़ावा देना है। राज्य के किसानों और चावल मिलर्स को अधिक लाभ दिलाना है। सरकार के इस फैसले से छत्तीसगढ़ के चावल उद्योग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने मंडी शुल्क और किसान कल्याण में छूट दिए जाने की अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशन के लिए जारी कर दिया गया है।
इसे भी पढ़ें... PHE में तबादले : लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के 39 अफसरों का ट्रांसफर, देखिए सूची
मंडी में प्रस्तुत करनी होगी बैंक री-कॉसिलेशन स्टेटमेंट की प्रति
यह छूट अधिसूचना प्रकाशन के दिनांक से लेकर एक वर्ष तक के लिए होगी। दोनों शुल्कों में छूट के लिए चावल निर्यातकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि, उनके शिपिंग बिल में चावल के कार्गाे का मूल स्थान छत्तीसगढ़ लिखा हो। इसके अलावा छत्तीसगढ़ का वस्तु और सेवा कर विवरण, लदान बिल, बैंक री-कॉसिलेशन स्टेटमेंट की प्रति संबंधित मंडी में प्रस्तुत करनी होगी।
चावल निर्यातकों को परमिट जारी होगा
राज्य के पंजीकृत चावल निर्यातकों और राइस मिलर्स को एक घोषणा पत्र देना होगा। जिसमें यह स्पष्ट रूप से दर्शाया गया हो कि चावल छत्तीसगढ़ से खरीदे गए धान से तैयार किया गया है। राइस मिलर्स को मंडी अधिनियम के तहत चावल निर्यातकों को परमिट जारी करना होगा।