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एम्स में पिछले सालभर से होने वाले लाइव ट्रांसप्लांट में संतान की दीर्घायु की खातिर किडनी देने वालों में सबसे अधिक संख्या मां की है। मां के जैसा कोई नहीं।

रायपुर। बच्चों की खातिर मां हर जोखिम उठाने को तैयार रहती है। संतान की खातिर वह कुछ भी कर सकती है फिर चाहे स्वयं की जान जोखिम में डालने की बात ही क्यों ना हो। एम्स में पिछले सालभर से होने वाले लाइव ट्रांसप्लांट में संतान की दीर्घायु की खातिर किडनी देने वालों में सबसे अधिक संख्या मां की है। जान मां के जैसा कोई नहीं, इसे चरितार्थ करने के अनेकों उदाहरण हैं, जिनमें एम्स में होने लाइव किडनी प्रत्यारोपण के केस भी शामिल हैं। एम्स में अब तक दो दर्जन से अधिक किडनी प्रत्यारोपित की गई हैं, जिनमें से करीब बीस मामले लाइव ट्रांसप्लांट के हैं, जिसमें 80 फीसदी मामलों में मां ने अपने जिगर के टुकड़ों को किडनी देकर दूसरी बार जीवन प्रदान किया है। हरिभूमि टीम ने ऐसी ही कुछ ममतामयी मां और उनके बेटे से चर्चा की..।

ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारी से बचाया

कोरबा में रहने वाली 25 साल की लड़की किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी और तत्काल दूसरी किडनी नहीं लगाए जाने पर उसे ब्रेन हेमरेज अथवा लकवा हो सकता था। एम्स में पहुंची इस लड़की को गंभीर बीमारी से बचाकर स्वस्थ जीवन देने के लिए मां ने अपनी किडनी प्रदान की। महीनेभर पहले हुए इस ऑपरेशन में बाद बेटी के स्वस्थ हो जाने से मां भी बेहद खुश है। दोनों नियमित जांच के लिए समय-समय पर एम्स आती हैं।

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युवराज को मिली नई जिंदगी

बेमेतरा में रहने वाला 24 साल का युवराज अब पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है। युवराज एक किडनी के साथ पैदा हुआ था, जो कमजोर थी। करीब दो साल पहले फेल होने की स्थिति में चुकी थी। विभिन्न तरह की शारीरिक समस्या के साथ वह इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा, तो चिकित्सकों ने उसके परिजनों को किडनी प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी थी। मां हिरोन्दी बाई वर्मा ने युवराज को किडनी के रूप में नया जीवन प्रदान किया।

शिक्षक बेटे को नया जीवन

बलौदाबाजार के ग्राम बरंदा में रहने वाले हेमंत वर्मा शिक्षक हैं और मां सोमबाई से मिली किडनी के बाद सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। हेमंत ने बताया कि हाथ-पांव में सूजन की शिकायत के दौरान चिकित्सकीय जांच के दौरान पता चला कि दोनों किडनी खराब हो चुकी है। कुछ दिनों तक डायलिसिस के बाद उसके पास प्रत्यारोपण के अलावा कोई चारा नहीं था। अन्य रिश्तेदार इसके बारे में कुछ सोचते, इससे पहले मां जिगर के टुकड़े को अपनी किडनी देने के लिए तैयार हो गई। पिछले साल जुलाई में ट्रांसप्लांट पूरा हुआ और बेटा पूरी तरह स्वस्थ हो गया।

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