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भक्ति एवं आस्था का केंद्र श्री बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर 1300 साल बाद 3 करोड़ की लागत से हो रहा जीर्णोद्धार, निर्माण पुराने स्वरूप में है। 

उमेश सिंग बशिष्ट - धमतरी।  इतवारी बाजार स्थित किले का श्री बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर 13 सौ साल पुराना है। यह बात गर्भगृह की खुदाई में खिले कमल फूल और दो हाथियों के प्रस्तर खंड से पता चलती है। मंदिर न्यास समिति के विपिन पवार, विजय गोलछा, सजल अग्रवाल, नीलेश लुनिया ने बताया कि यह मंदिर रतनपुर के महामाया मंदिर के समकक्ष है। प्राचीनकाल में इस मंदिर में नागों का बसेरा हुआ करता था, जो स्वच्छंद विचरण करते थे। किवदंती है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पहले कांकेर के राजधराने का था। उस समय तहसील ऑफिस किला हुआ करता था। इसके चारों तरफ गहरी खाई थी। बीच में किले के अंदर यह : मंदिर था। आसपास में प्राचीन मंदिरों के अवशेष इसके साक्ष्य हैं। शिवलिंग गर्भगृह में स्थित था। 

मंदिर की प्राचीन शैली की कलाकृति आज भी मौजूद हैं। बड़े बड़े पत्थरों में कलाकारों ने कलाकृतियां बनाई हैं। शिवलिंग पतालमुखी है। नंदी प्रारंभ से ही स्थापित है। लोग मनौती लेकर आते हैं और संतुष्ट होकर जाते हैं। नगर के अति प्राचीन मंदिरों में एक श्री बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर सदियों से धार्मिक आस्था का केंद्र है, जहां लोग मनौती लेकर आते हैं और संतुष्ट होकर जाते हैं। श्रावण मास में सैकड़ों कांवरिये यहां जल चढ़ाने आते हैं। प्रतिदिन हजारों भक्त सुबह शाम दर्शन को आते हैं। सावन में हर साल एक माह तक शिवपुराण कथा का आयोजन होता है। प्रतिदिन शाम को आरती से पहले फलों एवं फूलों से शिवलिंग का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है।

3 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार

इस मंदिर का जीर्णोद्धार 3 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। प्राचीन नागर शैली में बने इस मंदिर को बनाने का जिम्मा जयपुर राजस्थान के मंदिर विशेषज्ञ सोनपुरा परिवार को मिला है। शिलाएं राजस्थान के बंशी पहाड़पुर से लाई गई हैं। मंदिर निर्माण का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। मंदिर के नए स्वरूप में पुरानी झलक दिख रही है। मंदिर में 44 पिल्लर, 6 खिड़कियां और 3 दरवाजे हैं। मंदिर निर्माण के लिए 14 हजार घनमीटर स्टोन पत्थर का इस्तेमाल हुआ है।
 

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