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छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने लोक शिक्षण संचालनालय में ज्ञापन सौंप कर व्याख्याता और प्रधान पाठकों से प्राचार्य पदोन्नति किए जाने की मांग की है। 

कोरबा। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंप कर व्याख्याता और प्रधान पाठकों से प्राचार्य पदोन्नति करने की मांग की है। पिछले 11 सालों से कर्मचारी पूर्णकालिक प्राचार्य की पदस्थापना की गुहार लगा रहे हैं। 3500 से अधिक शासकीय हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में प्राचार्य के जगह प्रभारी से काम चलाया जा रहा है। 

दरअसल अधिकारी- कर्मचारी पदोन्नति संघर्ष मोर्चा ने टी एवं ई संवर्ग के व्याख्याता और प्रधान पाठक से प्राचार्य पदोन्नति किए जाने को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय के लिए गुहार लगाई गई थी। 3500 से अधिक शासकीय हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल में प्राचार्य के रिक्त पदों पर पात्रता रखने वाले नियमित व्याख्याता और प्रधान पाठक माध्यमिक शाला की प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं हुई हैं। इसके लिए प्रदेश के हजारों नियमित व्याख्याता और प्रधान पाठकों की पदोन्नति की शासन से गुहार लगाई है।

सैकड़ों स्कूल प्राचार्य विहीन 

पहले भी मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव उच्चाधिकारियो से मुलाकात कर  ज्ञापन सौंप कर प्राचार्य पदोन्नति के लिए मांग की गई थी। लेकिन सरकार ने प्राचार्य पदोन्नति की मांग को ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण हर साल सैकड़ों की संख्या में व्याख्याता और  प्रधान पाठक बिना पदोन्नति के सेवानिवृत होते चले गए। इसके अलावा सैकड़ों शासकीय हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल प्राचार्य विहीन रह गए। 

11 सालों ने नहीं हुई प्राचार्य पद पर पदोन्नति 

अधिकारी- कर्मचारी पदोन्नति संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि, प्रदेश में 11 सालों से प्राचार्य पदोन्नति का कार्य लंबित था। नई सरकार के गठन होने के बाद से नई उम्मीद उत्पन्न हुई है। हमें उम्मीद है कि स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षा व्यवस्था में समुचित सुधार के लिए प्राचार्य विहीन समस्त स्कूलों में पूर्णकालिक प्राचार्य की पदस्थापना के लिए जल्द विभागीय कार्यवाही कर प्राचार्य पदोन्नति का आदेश जारी किए जाएंगे। 

चुनाव से पहले पदोन्नति की मांग 

स्कूल शिक्षा विभाग में विगत 11 सालों से रूकी हुई प्राचार्य पदोन्नति के लिए समस्त विभागीय प्रक्रिया को नगरीय निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले  प्राचार्य पदोन्नति का आदेश जारी किया जाए। प्रदेश संयोजक ने बताया की पदोन्नति देने से शासन को कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आएगा। पदोन्नति प्राप्त करने वाले सभी व्याख्याता और प्रधान पाठक वर्तमान में प्राचार्य पद का ही वेतन और पे स्केल प्राप्त कर रहे है। 

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