Logo
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय विद्यालयों की सूची तैयार की गई, जहां के परीक्षा परिणाम 50 फीसदी से कम रहे हैं। इन स्कूलों के शिक्षकों, प्राचार्यों से जवाब मांगे जाएंगे।

रायपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी से जूझते विद्यालयों के बारे में आपने खूब देखा और सुना होगा। लेकिन ये नजारे अब केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि स्कूल शिक्षा विभाग की मेहरबानी से राजधानी में भी देखने को नसीब हो रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा उन शासकीय विद्यालयों की सूची तैयार की गई, जहां के परीक्षा परिणाम 50 फीसदी से कम रहे हैं। इन स्कूलों को लेकर तय हुआ कि यहां के शिक्षकों और प्राचार्यों से जवाब मांगे जाएंगे, जबकि जहां के परिणाम 30 प्रतिशत से कम हैं, वहां के शिक्षकों और प्राचार्य पर कार्रवाई करने की तैयारी है। 

हरिभूमि टीम विभिन्न जिलों में कम परीक्षा परिणाम वाले स्कूलों में पहुंची और वहां की वस्तु-स्थिति जानने प्रयास किया। जिन भी स्कूलों में परिणाम खराब आए हैं, वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों की ये कमी ही खराब छात्रों का भविष्य खराब होने की वजह बनी। स्कूलों को माहभर का समय जवाब देने के लिए दिया गया था। कई स्कूलों ने अपने जवाब भेज दिए हैं, जिसमें शिक्षकों की कमी का हवाला दिया गया है।

विज्ञान, गणित और इंग्लिश के शिक्षक ही नहीं 

राजधानी रायपुर स्थित नगर निगम उच्चतर माध्यमिक शाला टिकरापारा में पहली से दसवीं कक्षा का संचालन होता है। यहां नवमी में 30, दसवीं में 42, ग्यारहवीं में 8 और बारहवीं में 12 छात्र हैं। इन सबको पढ़ाने के लिए सिर्फ 2 शिक्षक बीते सत्र में थे। खराब परिणाम के बाद पखवाड़े भर पहले ही नगर निगम आयुक्त ने 2 शिक्षकों की व्यवस्था की है, लेकिन अब भी यहां पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। दसवीं में यहां 26 में 8 छात्र ही उत्तीर्ण हुए तो बारहवीं में 12 छात्रों में से सिर्फ 5 छात्र ही उत्तीर्ण हो सके। यहां गणित, इंग्लिश और विज्ञान विषय के शिक्षक ही नहीं हैं।

कई बार संपर्क, दो टूक जवाब-निगम से मांगों टीचर 

अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, स्कूल प्रबंधन द्वारा कई बार जिला शिक्षा कार्यालय से संपर्क किया जा चुका है। शिक्षकों की मांग लेकर वे जब भी जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचे तो उन्हें दो टूक जवाब मिला कि यह नगर निगम का स्कूल है तो आप उनसे ही शिक्षक मांगे। छात्रों की पढ़ाई उचित रूप से हो सके, इसके लिए वे अपने परिचित शिक्षाविदों को बुलाकर भी छात्रों की पढ़ाई करवाते हैं।

बात नहीं करूंगा

रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल ने बताया कि, मैं किसी बारे में कोई बात नहीं करूंगा। मेरे पास समय नहीं है।

शिक्षक नहीं हैं

रायपुर के  टिकरापारा नगर निगम शाला प्राचार्य संध्या तिवारी ने बताया कि, हमारे पास शिक्षक ही नहीं है, इसलिए परिणाम खराब आए।

महिमा गवाड़ी शाला नारायणपुर : 19 बच्चों में

नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के महिमा गवाड़ी हायर सेकेंडरी स्कूल में विज्ञान के प्रयोगशाला रूम में धूल जम रही है। लैब की सामग्री खराब हो गई है। स्कूल के स्टाफ रूम और क्लास के अंदर की खाली कुर्सियां बच्चों और अभिभावकों के अरमान पर पानी फेर रहे हैं। खराब रिजल्ट आने के बाद भी जिला प्रशासन कोई सबक नहीं ले रहा है। स्कूल में पढ़ाई को लेकर किसी प्रकार की चिंता प्रशासनिक स्तर पर नहीं है। यहां 12वीं में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस विषय लेकर भविष्य संवारने आए 19 बच्चे में से 14 बच्चे फेल हो गए हैं और दो बच्चे पूरक आए हैं। 140 दर्ज संख्या वाले इस हायर सेकेंडरी स्कूल में अनुशासनहीनता इस कदर हावी है कि बच्चे स्कूल से लगातार गायब रहते हैं। बच्चों के साथ शिक्षकों का रवैया भी इसी प्रकार का होता है। व्यवस्था का जायजा लेने हरिभूमि की टीम जब यहां पहुंची तो सभी टीचर गायब मिले। 60 बच्चे ही स्कूल आए पहुंचे और 44 गैरहाजिर रहे।

फेल छात्र अब चरा रहे मवेशी

जब हमने बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि संस्कृत, अर्थशास्त्र, राजनीति, व्यवसाय अध्ययन और हिंदी के टीचर नहीं हैं। 3 साल से प्रयोगशाला में धूल जमी हुई है। शिक्षकों ने एक बार भी बच्चों को प्रैक्टिकल करने के लिए नहीं बुलाया है। खराब पढ़ाई की वजह से फेल होने वाले बच्चे गांव के अंदर मवेशी चराते हुए दिख रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीर नहीं है। पैसे नहीं होने के कारण वे बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नहीं भेज पाते हैं।

पहले अच्छे थे परिणाम 

महिमा गवाड़ी विद्यालय प्राचार्य संतोष बंजारे ने बताया कि, हमारा रिजल्ट आशा के अनुरूप नहीं आया इससे पहले हमारा रिजल्ट बहुत अच्छा आया था इस रिजल्ट की समीक्षा की जाएगी।

 

5379487