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स्कूल जतन योजना के तहत सरगुजा सहित पूरे प्रदेशभर के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत एवं खतरनाक भवनों का नवनिर्माण कराने का निर्णय लिया था। 

सरगुजा/कोरिया। एक सप्ताह बाद नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होने वाला है लेकिन सरगुजा के सैकड़ों स्कूल भवनों की मरम्मत अब तक पूरी नहीं हो सकी है। शासन ने सैकड़ों जर्जर एवं खतरनाक स्कूल भवनों को ध्वस्त कर नया भवन बनाने की स्वीकृति प्रदान की है लेकिन नए भवन का निर्माण तो दूर अभी तक लगभग एक दर्जन भवनों को तोड़ा भी नहीं जा सका है। ठेकेदारों ने कहीं नींव खोदकर तो कहीं स्कूल भवन की छत उखाड़कर छोड़ दिया है। इन भवनों में नए शिक्षा सत्र का शाला प्रवेश उत्सव कैसे मनेगा इसको लेकर शिक्षक काफी  चिंतित  हैं।  तत्कालीन कांग्रेस शासन ने स्कूल जतन योजना के तहत सरगुजा सहित पूरे प्रदेशभर के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत एवं खतरनाक भवनों का नवनिर्माण कराने का निर्णय लिया था तथा इसकी जिम्मेदारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं गृह निर्माण मंडल को सौंपी थी। गृहनिर्माण मण्डल को सीमित संख्या में निर्माण एवं सुधार कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी इसके बावजूद मंडल एक भी निर्माण कार्य को पूरा नहीं कर सका। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा स्वीकृति मिलते ही ठेकेदारों को सुधार एवं निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी सौंप दी थी। 

हालत यह है कि, अभी तक दर्जनों बेहद खतरनाक भवनों का निर्माण शुरू होना तो दूर अभी तक इन्हें ढहाया तक नहीं गया है। चिंता की बात है कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को स्कूल भवनों की हालत तक की जानकारी नहीं है वहीं शिक्षक एवं निचले स्तर के अधिकारी ऐसे स्कूल भवनों में शाला प्रवेश उत्सव कैसे मनाएंगे इसको लेकर चिंतित है। ऐसे खतरनाक भवनों में नए शिक्षा सत्र की कक्षाएं संचालित कराना बड़ी चुनौती बनी हुई है।  शासन द्वारा स्कूल जतन योजना के तहत सरगुजा जिला में 1252 जर्जर स्कूल भवनों का चयन किया गया है जिनमें 1064 भवनों की मरम्मत का कार्य पूरा हो गया है जबकि 101 स्कूल भवनों की मरम्मत एवं नवनिर्माण पिछले तीन महीने से कछुआ गति से चल रहा है वहीं 87 जर्जर भवनों की मरम्मत एवं नवनिर्माण का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इसी तरह सूरजपुर जिलान्तर्गत योजना के तहत स्वीकृत 1678 जर्जर स्कूल भवनों में से मात्र 881 भवनों की ही मरम्मत पूरी हो सकी है। शेष 797 स्कूल भवनों में से दर्जनों भवनों की मरम्मत एवं नवनिर्माण शुरू तक नहीं हो सका है। बलरामपुर- रामानुजगंज जिले में योजनान्तर्गत 1352 जर्जर स्कूलों की स्वीकृति प्रदान की गई थी जिनमें 860 स्कूलों की ही मरम्मत पूरी हो पाई है। जबकि शेष बचे 492 स्कूल भवनों में से दर्जनों की मरम्मत अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।

मरम्मत के नाम पर सिर्फ रंग-रोगन

प्रारम्भ में आईएस ने राजनीतिक प्रभाव रखने वाले लोगों को सैकड़ों युवाओं को स्कूलों के मरम्मत की जिम्मेदारी सौंपी थी। ऐसे ठेकेदारों ने जर्जर स्कूल भवनों का रंग-रोगन करा मरम्मत की खानापूर्ति कर दी तथा प्रधानपाठक से उपयोगिता प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिया। मरम्मत के अभाव में हाल में हुई हल्की वर्षा में भी इन स्कूलों की छत टपक रही है। मरम्मत की खानापूर्ति होने के कारण इन स्कूल भवनों में मानसून की वर्षा शुरू होते ही छत टपकने की समस्या निर्मित होगी। स्थिति से अवगत होने के बावजूद विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

छत उखाड़ने के बाद ढलाई करना भूला ठेकेदार 

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अधिकारी किस तरह जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत करा रहे हैं इसका अंदाजा ग्राम पंचायत सुखरी स्थित हाईस्कूल भवन के सुधार कार्य से लगाया जा सकता है। हाईस्कूल भवन के सभी कमरों में छत का पानी टपकता था। विभाग के प्रस्ताव पर शासन ने स्कूल भवन की पूरी छत बनाने के लिए 20 लाख की स्वीकृति प्रदान की थी। ठेकेदार ने गर्मी की छुट्टी शुरू होते ही स्कूल भवन की छत को उखाड़ दिया तथा लम्बा समय गुजरने के बावजूद अभी तक निर्माण शुरू नहीं किया। अब किसी भी हाल में शिक्षा सत्र प्रारम्भ होने तक छत की ढलाई पूरी होने की संभावना नहीं है। ऐसे में नए शिक्षा सत्र में अध्यापन को लेकर अधिकारी एवं शिक्षक परेशान है। सरगुजा संभाग के सबसे बड़े एवं पुराने मल्टीपरपज हायर सेकेण्डरी स्कूल भवन के शेड निर्माण का कार्य भी लम्बे समय से अधूरा पड़ा है। मल्टीपरपज हायर सेकेण्डरी स्कूल भवन के शेड निर्माण के लिए 1.82 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है।

कोरिया एमसीबी जिले के कई स्कूलों की हालत खस्ता

कोरिया एमसीबी जिले में कई स्कूल भवनों की हालत जर्जर है। एमसीबी जिले के जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनहरी के मिडिल स्कूल का भवन जर्जर हो जाने की वजह से स्कूल समूह के क्रियाकलापों के लिए वर्क शेड निर्माण हुआ है। इसमें बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं। इस क्षेत्र में मात्र आठवीं तक स्कूल है, वह भी जर्जर स्थिति में है। 12वीं की पढ़ाई के लिए यहां से करी करीब 20 किमी दूर जाना पड़ता है। इसी तरह प्राथमिक शाला कछौड़, मुक्तियारपारा, लाई, नई लेदरी आदि जगहों पर भवन की स्थिति जर्जर बनी हुई है। वहीं जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में गायत्री मंदिर के बगल में स्थित प्राथमिक शाला की हालत जर्जर बनी हुई है, यहां अध्ययन करने वाले बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

निर्माण के नाम पर खोद दी नींव

योजना के तहत विकासखण्ड बतौती अंतर्गत कोरवापारा एवं तुरकापारा स्थित जर्जर प्राथमिक शाला भवन को ढहाकर नवीन भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी। ठेकेदार ने दोनों भवनों को ढहाने के बाद भवन निर्माण के लिए नींव खोदकर छोड़ दी है। इसी तरह विकासखण्ड मैनपाट अंतर्गत मिडिल स्कूल जामडीह, महारानीपुर, कदनई एवं प्राथमिक शाला जामडीह, सपनादर, रजखेता का नया भवन बनाने के लिए जर्जर भवन को अभी ढहाया तक नहीं गया है।

करेंगे पूछताछ

सरगुजा के संयुक्त संचालक शिक्षा संजय गुप्ता ने बताया कि, सरगुजा संभाग में स्कूल जतन योजना में अपूर्ण स्कूल भवनों की इतनी अधिक संख्या नहीं है। आपको जानकारी है तो हमें उपलब्ध कराएं। हम जिला शिक्षा अधिकारियों से पूछताछ करेंगे।

ईई से हुई है चर्चा

डीईओ एके सिन्हा ने बताया कि, सुखरी हाईस्कूल भवन की छत उखाड़कर अब तक निर्माण शुरू नहीं करने के संबंध में आरईएस के ईई से चर्चा हुई है। उन्होंने शिक्षा सत्र प्रारम्भ होने के पूर्व छत ढलवाने का आश्वासन दिया है। सभी भवनों का निरीक्षण करने के बाद ही भुगतान जारी किया जाएगा।

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