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साक्षरता अभियान : बीते दो साल से अपने परिणामों का इंतजार ही करते रहे। दो साल बाद दोबारा उन्हें परीक्षा के लिए बुलाया गया।

रुचि वर्मा  - रायपुर।  कई दशकों से छत्तीसगढ़ में चल रहे साक्षरता अभियान में अजब ही खेल हुआ है। दरअसल रविवार को छत्तीसगढ़ में दो लाख निरक्षरों की परीक्षा हुई। हरिभूमि फील्ड रिपोर्टिंग के लिए परीक्षा केंद्रों में पहुंचा तो गजब का खुलासा हुआ। परीक्षा देने आए लोगों  ने बताया कि वे साक्षर होने और पढ़ने-लिखने का सर्टिफिकेट प्राप्त करने की इच्छा में वे सभी सत्र 2022 की परीक्षा में शामिल तो हुए, लेकिन प्रमाण पत्र मिलना तो दूर की बात उन्हें यह तक पता नहीं चला कि वे पास हुए हैं अथवा फेल।

बीते दो साल से अपने परिणामों का इंतजार ही करते रहे। दो साल बाद दोबारा उन्हें परीक्षा के लिए बुलाया गया। केंद्र में पहुंचने के बाद अधिकतर के सवाल ये ही थे कि उनकी पिछली परीक्षाओं के नतीजे क्या रहे? वे फेल हैं या पास, ये सवाल वे केंद्रों में उपस्थित शिक्षकों से भी करते रहे। उल्लास कार्यक्रम में शामिल परीक्षार्थियों में महज कुछ ही छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार परीक्षा दिलाई है।

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नहीं भेजे गए अंक 

राज्य साक्षरता मिशन के एक अधिकारी ने बताया, साक्षरता मिशन का संचालन केंद्र और राज्य मिलकर करते हैं। छात्रों की अंकसूची एनआईओएस अर्थात नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग द्वारा तैयार करके भेजे जाते हैं। इसके लिए राज्यों को परीक्षार्थियों के अंक पोर्टल पर अपडेट करने होते हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में परीक्षा में शामिल किसी भी परीक्षार्थी के अंक नहीं भेजे गए। चूंकि अंक ही नहीं भेजे गए, इसलिए एनआईओएस ने अंकसूची ही नहीं दी।

ए, बी और सी सर्टिफिकेट 

साक्षरता मिशन के अंतर्गत ऐसे प्रौढ़ व्यक्ति, जो किसी कारणवश बचपन में पढ़ाई नहीं कर सके थे, उन्हें साक्षर बनाने के लिए अभियान चलाया जाता है। इसके तहत उन्हें पढ़ना- लिखना सिखाया जाता है। उनकी परीक्षा ली जाती है और उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाता है। ए सर्टिफिकेट वालों को उत्तीर्ण माना जाता है, जबकि बी और सी सर्टिफिकेट वाले अनुत्तीर्ण श्रेणी में आते हैं। बी और सी सर्टिफिकेट पाने वाले ए सर्टिफिकेट पाने फिर से परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। रविवार को हुई परीक्षा से पहले मार्च 2022 में विभाग ने साक्षरता परीक्षा ली थी। इसमें शामिल प्रौढ़ों को किसी भी तरह का सर्टिफिकेट नहीं मिल सका है।

कोई क्यों आएगा ?

परीक्षा का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक रखा गया था। प्रौढ़ शिक्षार्थी इसके बीच में कभी भी आकर पर्चे हल कर सकते थे। कुछ केंद्रों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा। शिक्षक सूची लिए इंतजार करते रहे कि कोई आए तो वे प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिका बांटे। विभिन्न स्कूलों में बात किए जाने पर शिक्षकों ने बताया कि प्रौढ़ों को पढ़ाई के लिए मनाना और केंद्र तक लेकर आना ही मुश्किल होता है। जब इन्हें सर्टिफिकेट भी नहीं मिलेगा तो कोई क्यों परीक्षा दिलाने आएगा? हमने कई को फोन किया और परीक्षा केंद्र में आने के लिए मनाया, लेकिन उन्होंने साफ मन कर दिया। पहले हम यह कहकर उन्हें बुलाते थे कि सर्टिफिकेट दिया जाएगा। अब क्या कहें?

बचते रहे अफसर

पूरे मामले पर हरिभूमि ने कई अफसरों से बातचीत करने की कोशिश की। समी इस मामले को एक-दूसरे पर डालते रहे। मामले की पूर्ण रूप से जानकारी देने और कुछ भी कहने से सभी बचते रहे। एक ने कहा कि जो साहब उस वक्त थे, वे अब चले गए हैं, इसलिए मामले को जाने दीजिए। हरिभूमि पूरे मामले पर अधिकृत बयान के इंतजार में है।

केस - 1
मठपुरैना के शासकीय विद्यालय में परीक्षा देने पहुंची सरस्वती ने प्रश्नपत्र मिलने के कुछ मिनटों में ही पूरा पर्चा हल कर लिया। बातचीत करने पर उन्होंने कहा, ये दूसरी बार है जब परीक्षा दिलाने पहुंची। पेपर पिछली बार भी अच्छा गया था। पास हुई या फेल कुछ नहीं पता। इस बार भी पेपर अच्छा गया है।

केस - 2
राजधानी के अमलीडीह स्थित शासकीय विद्यालय में 12-1 बजे जब हरिभूमि की टीम पहुंची तो सन्नाटा पसरा रहा। वहां मौजूद अधिकारियों ने बताया, सुबह 9 लोग आए थे। बाकियों को भी फोन करके बुलाया था। परीक्षा दिलाने और लोग आएंगे, ऐसी उम्मीद है। पिछली परीक्षा के ही सर्टिफिकेट अब तक नहीं मिल सके हैं।

केस - 3
रायपुर के मठपुरैना शासकीय विद्यालय में परीक्षा दिला रही विमला बाई को अपनी जन्मतिथि ज्ञात नहीं है। अंदाजा लगाकर बताती हैं कि उनकी आयु 60 साल से अधिक
होगी। वे भी पिछली बार परीक्षा में बैठी थी, लेकिन अंकसूची नहीं मिली। अब दोबारा प्रमाणपत्र के लिए परीक्षा दिलाने पहुंची हैं।

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