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छत्तीसगढ़ के राइस मिलरों का कहना है कि, 2021 से योजना लागू होने के बाद अब तक मिलरों का प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाई है। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने राइस मिलरों के लिए लागू की गई प्रोत्साहन  राशि अब तक मिलरों को नहीं मिली है। मिलरों का दावा है कि,तीन साल की यह राशि 6 हजार करोड़ रुपए होती है, लेकिन मार्कफेड के अधिकारियों के मुताबिक राशि का आंकड़ा कुछ और है। यह रकम नहीं मिलने के कारण मिलरों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है और वे परेशानी में हैं। छत्तीसगढ़ के राइस मिलरों का कहना है कि 2021 से योजना लागू होने के बाद अब तक मिलरों का प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाई है। 

मिल ये दावा भी कर रहे हैं कि, तीन साल से रूकी ये राशि करीब छह हजार करोड़ रुपए है। लेकिन इस संबंध में मार्कफेड अधिकारियों का कहना है हर साल की राशि अलग-अलग है। एक साल में जब मिलिंग का काम पूरा हो जाता है और मिलर पूरा चावल जमा कराते हैं तो उन्हें 50 प्रतिशत राशि दी जाती है। मार्कफेड के एमडी रमेश शर्मा का कहना है कि हर साल की राशि अलग-अलग है। मिलरों को मिलिंग की मूल राशि दी जा रही है। प्रोत्साहन राशि देने का आदेश जारी होने के बाद यह राशि अदा की जाएगी।

इस महीने जारी होंगे 1200 करोड़- योगेश 

छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल का कहना है कि मिलरों की तीन साल की प्रोत्साहन राशि करीब 6 हजार करोड़ रुपए बकाया है। इस संबंध में राज्य सरकार से चर्चा हुई है। सरकार ने राशि देने की सहमति दी है। इस माह में ही मिलरों को 1200 करोड़ रुपए जारी हो जाएंगे।  अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आग्रह किया है कि बाकी रकम भी जल्द जारी की जाए।

वहीं सरकार 2021 में लागू हुई थी प्रोत्साहन योजना

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने वर्ष 2021 दिसंबर में राइस मिलरों के लिए कस्टम मिलिंग प्रोत्साहन राशि योजना लागू की गई थी। इसके मुताबित मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए दी जाने वाली राशि प्रति क्विंटल 40 रूपए से बढ़ाकर 120 रूपए किए गए थे। पूर्ववर्ती सरकार ने जब यह घोषणा की थी तब राज्य के मिलर खुश थे, लेकिन इन मिलरों के लिए यही प्रोत्साहन योजना अब परेशानी की वजह बन गई है।

क्या है कस्टम मिलिंग

छत्तीसगढ़ में हर साल राज्य सरकार सहकारी सिस्टम से किसानों से उनका धान न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर धान की खरीदी करती है। यह धान राज्य के पंजीकृत राइस मिलरों को चावल तैयार करने के लिए दिया जाता है। धान से चावल बनाने के लिए केंद्र के प्रावधान के अनुरूप एक निश्चित राशि दी जाती है। यह प्रक्रिया धान की कस्टम मिलिंग कहलाती है। इधर राज्य सरकार मिलरों को मिलिंग के काम के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रति क्विंटल राशि अदा करती है। वर्ष 2021 से पहले यह राशि प्रति क्विंटल 40 रूपए थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इसे तीन गुना बढ़ाकर 120 रूपए प्रति क्विंटल किया गया था।
 

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