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जोरातराई (सिलौटी) में साहू समाज से आने वाले एक शिक्षक दंपति ने समाज को एक नई संदेश देते हुए अपने विधुर हो चुके दमांद का पुनर्विवाह कराया है।

यशवंत गंजीर-कुरुद। छत्तीसगढ़ धमतरी जिले के ग्राम जोरातराई (सिलौटी) में साहू समाज से आने वाले एक शिक्षक दंपति ने समाज को एक नई संदेश देते हुए अपने विधुर हो चुके दामाद का अनोखा पुनर्विवाह कराया है। पहले दामाद के लिए दुल्हन ढूंढी फिर उस पराई लड़की को बेटी का दर्जा दे अपने घर से कन्यादान कर विदा किया।

उल्लेखनीय है कि, धमतरी जिले का साहू समाज अपने नये-नये नियमों के साथ-साथ समाजिक कुरीतियों को दूर करने उठाये जा रहे कदमो के लिए हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। जिसके चलते अन्य समाजों के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में उभरकर कर नित नये संदेश देते आ रहे है। एक ऐसा ही संदेश जोरातराई के शिक्षक दयालु राम साहू व धर्मपत्नी खेमलता लता साहू ने अपने विधुर हो चुके दामाद  बनियातोरा (मगरलोड) निवासी का पुनर्विवाह कराकर किया है। उन्होंने पहले अपने दमांद के लिए योग्य कन्या की तलाश की फिर उसके साथ रिश्ता तय करा जय माला विवाह की रस्म अदा करा अपने घर से बेटी विदा किया। 

मांग भरता दामाद
मांग भरता दामाद

गुरुर गांव में रिश्ता तय कर अपने गांव से किया बेटी विदा

बता दे कि दयालु राम के पुत्री स्व. वंदना साहू का विवाह पहले रामकुमार साहू के साथ हुआ था। जिसकी एक चार वर्षीय पुत्री है। वंदना की शारीरिक अस्वस्थता के चलते 7 सितंबर 2023 को निधन हो गया। जिसके बाद उन्होंने बनियातोरा निवासी अपने दामाद रामकुमार साहू के लिए गुरुर निवासी गोदावरी साहू के साथ रिश्ता तय कराया फिर अपने गांव जोरातराई मे विदाई समारोह आयोजित कर रश्म अदा किया। श्री साहू ने सारे रश्म इस तरह से निभाया जैसे वह स्वयं की अपनी बेटी हो।  जहां जोरातराई, बनियातोरा व गुरुर से पहुंचे नाते-रिश्तेदार, समाजिक पदाधिकारिगण एवं ग्रामीणजन इस नेककार्य के साक्षी बने व शिक्षक दम्पती की भूरि-भूरि प्रशंसा किये। 

परी को मिली मां तो गोदावरी को मिले माता-पिता

 पुत्री वंदना के निधन के बाद से दयालु राम अपने नातिन व दामाद के आगे की खुशहाल जिंदगी को लेकर चिंतित थे। पत्नी खेमलता से उनके जीवन को फिर से खुशहाल देखने फहल शुरू की। जिसके चलते उन्होंने स्वयं होकर दामाद के लिए योग्य कन्या की तलाश शुरू की जो उसके दामाद के लिए अच्छी पत्नी व नातिन परी के  बेहतर माँ साबित हो सके। सारी परिस्थितियों से वाकिफ होने के बाद गोदावरी इस रिश्ते के लिए तैयार हुई। तत्पश्चात 31 मार्च को परिणय रश्म व कन्या विदाई का कार्यक्रम आयोजित किया जिससे नन्ही परी को गोदावरी रूपी मां तो गोदावरी को भी एक और माता-पिता मिला।

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