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आरंग में मिली जैन तीर्थंकर की प्रतिमा को संस्कृति मंत्री बृजमोहन ने आरंग में ही रखने की घोषणा की है।

आरंग। आरंग के अंधियार खोप तालाब में गहरीकरण के दौरान प्राचीन और दुर्लभ जैन तीर्थंकर की प्रतिमा मिली थी। पिछले दिनों डोंगरगढ़ के जैन समाज ने इस मूर्ति को ले जाने के लिए प्रशासन से मांग की थी। जिस पर रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने मूर्ति को जैन समाज डोंगरगढ़ को सौंपने का आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने कलेक्टर के आदेश का विरोध किया था। उन्होंने प्रतिमा को आरंग में ही रखने की मांग की थी। इस पर संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने घोषणा कर कहा कि, प्रतिमा आरंग में ही रखी जाएगी। 

बता दें कि, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राजा मोरध्वज आरंग महोत्सव में कहा कि, आरंग में मिली प्राचीन जैन मूर्ति आरंग में ही रहेगी। वहां पर संग्रहालय बनाने के लिए उन्होंने 25 लाख रुपए की घोषणा की। इसके अलावा राजा मोरध्वज महोत्सव के लिए सालाना 5 लाख रुपए देने की भी घोषणा की।

दो साल पहले मिली थी जैन तीर्थंकर की प्रतिमा

दरअसल, दो साल पहले सितंबर 2021 में आरंग के अंधियार खोप तालाब में गहरीकरण के दौरान प्राचीन और दुर्लभ जैन तीर्थंकर की प्रतिमा मिली थी। तब इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भांडदेवल मंदिर में सुरक्षित रखवाया था। पिछले दिनों डोंगरगढ़ के जैन समाज ने इस मूर्ति को ले जाने के लिए प्रशासन से मांग की थी, जिस पर रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने मूर्ति को जैन समाज डोंगरगढ़ को सौंपने का आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने उनका विरोध किया था। इसके अलावा कई सामाजिक संगठनों ने इस आदेश का विरोध कर संबंधित विभाग को पत्र भी लिखा था। 

यहां मिलने वाली प्राचीन मूर्तियां ही आरंग की पहचान हैं

स्थानीय लोगों का कहना था कि, आरंग की पहचान यहां के प्राचीन मूर्ति, अवशेषों और ऐतिहासिक धरोहरों से है। अगर यह प्राचीन मूर्ति यहां से चली जाएगी तो इसी तरह कोई भी समाज मूर्तियों की मांग करेगा और यहां की मूर्तियों को लेकर चला जाएगा। उन्होंने कहा कि, नागरिकों की बिना अनुमति से मूर्तियों को लेकर जाना अनुचित है। लोगों के विरोध के बाद संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने तालाब गहरीकरण के दौरान मिली प्राचीन और दुर्लभ जैन तीर्थंकर की प्रतिमा को आरंग में ही रखने की घोषणा की है।

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