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रायपुर शहर की 15 लाख आबादी को आधार मानकर 70 वार्डों का परिसीमन नए सिरे से होगा। इसमें औसतन 12 से 15 हजार मतदाता के हिसाब से वार्ड की सीमा तय हो सकती है।

रायपुर। प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव को लेकर जहां राजनीतिक गलियारों में हलचल मचने लगी है, 5 साल बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले महापौर चुनाव को लेकर मतदाता उत्साहित हैं। इस बार के निकाय चुनाव में मतदाताओं को 2 वोट डालने का मौका मिलेगा। पहला वोट शहरी सरकार के मुखिया को चुनने के लिए और दूसरा वोट अपने वार्ड के पार्षद का चुनाव करने को लेकर रहेगा। सूत्रों के मुताबिक रायपुर शहर की 15 लाख आबादी को आधार मानकर 70 वार्डों का परिसीमन नए सिरे से होगा। इसमें औसतन 12 से 15 हजार मतदाता के हिसाब से वार्ड की सीमा तय हो सकती है।

नगरीय निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार ने नए सिरे से वार्डों का परिसीमन करने कहा है। इसे लेकर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की ओर से जिला कलेक्टर को आदेश जारी किया गया है। निकाय की आबादी को रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में बराबर-बराबर बांटना है। वर्तमान में वार्डों में मतदाताओं की संख्या कहीं 6 हजार तो कहीं 12 से 15 और 18 हजार तक है। ऐसे में वार्ड परिसीमन का कार्य आसान नहीं होगा।

आउटर के 7 गांव निगम में जुड़ सकते हैं

सूत्रों मुताबिक रायपुर शहर के आउटर इलाके से लगे 7 नए गांव इस बार नगर निगम से जुड़ सकते हैं। इनमें दतरेंगा, मुजगहन, कांदुल, बोरियाकला, काठाडीह, सेजबहार, हतबंद गांव शामिल है।

एसटी- एसी के लिए 12 वार्ड रहेंगे

नगरीय निकाय चुनाव को लेकर राज्य शासन की ओर से जिला कलेक्टर को जारी वार्ड परिसीमन के आदेश के हिसाब से रायपुर नगर निगम में 70 वार्ड पहले से अस्तित्व में हैं, इसलिए नए वार्ड नहीं बनाये जाएंगे, बल्कि कम मतदाता वाले वार्ड का नए सिरे से सीमा तय होगी। 15 हजार से अधिक मतदाता वाले वार्ड के कुछ हिस्से आसपास के कम मतदाता वाले वार्ड में जुड़ेंगे। जनसंख्या के हिसाब से एसटी वर्ग के लिए 3 वार्ड और एससी श्रेणी के लिए 9 वार्ड सुरक्षित रहेंगे। ऐसे वार्ड में यदि बीएसयूपी कालोनी की संख्या ज्यादा है, तो वहां पर ज्यादा आसानी से उस वार्ड का समीकरण बिगड़ सकता है। मसलन कलिंग नगर, खालबाड़ा सहित अन्य इलाका।

कुछ बदलाव जरूरी

वरिष्ठ एमआईसी सदस्य श्रीकुमार मेनन का कहना है 2019 में कराया गया वार्ड परिसीमन जल्दबाजी में हुआ था, चूंकि उस समय नगरीय निकाय चुनाव था इसलिए परिसीमन के दौरान कई गलतियां हुई। वाडों में वोटर की संख्या को लेकर 13 हजार से लेकर 17 हजार तक वेरियेशन है। इस विसंगति को इस बार के निगम चुनाव से पूर्व एकरूपता में बदलने की जरूरत है।

सर्वाधिक मतदाता वामनराव लाखे वार्ड में

साल 2019 में हुए नगर निगम चुनाव में कामरेड सुधीर मुखर्जी वार्ड को विलोपित कर वहां के मतदाताओं को वामनराव लाखे वार्ड और पंडित सुंदरलाल शर्मा वार्ड में समाहित किया गया, इसलिए सर्वाधिक मतदाता वामनराव लाखे वार्ड 18,700 और पंडित सुंदरलाल शर्मा वार्ड में 16,500 हो गए। इसका वार्डवासियों ने जमकर विरोध भी किया। नए वार्ड परिसीमन में एक बार फिर जनता की मांग है इस पुराने वार्ड को पुनः जीवित किया जाये। विदित हो, उस समय कामरेड सुधीर मुखर्जी वार्ड में 10 हजार से अधिक मतदाता थे, उसे तीन वार्डों में मर्ज कर पुराने वार्ड को खत्म कर दिया गया। इसके चलते इस वार्ड के 3 बूथ को पंडित सुंदरलाल शर्मा वार्ड, एक बूथ को महंत लक्ष्मीनारायण दास वार्ड और 2 बूथ को वामनराव लाखे वार्ड में समाहित करने की नौबत आई।

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