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सभी थानों में विभिन्न अपराधों में जब्त बाइक कबाड़ हो रहे हैं। मालखानों में रखे सामान भी अनुपयोगी हो रहे हैं। कई थानों के हालात ऐसे हैं कि माल रखने के लिए जगह हीं नहीं ।

रायपुर। शहर के थानों के मालखाने में पुलिस द्वारा जब्त अनुपयोगी सामग्री के नष्टीकरण नहीं होने से यहां सामान रखने की जगह नहीं बची है। कई थानों के हालात ऐसे हैं कि माल रखने के लिए अब विकल्प भी तलाशा जा रहा है। एसएसपी संतोष सिंह का कहना है, जिन मामलों का निपटारा हो गया है, उनसे संबंधित गैर जरुरी सामान का नष्टीकरण कर जगह बनाई जाएगी। विकल्प भी तलाशा जाएगा। गौरतलब है कि लड़ाई-झगड़े तथा हत्या जैसी संगीन वारदातों में जब्त हथियार तथा आबकारी एक्ट में जब्त की गई शराब थानों के मालखानों में रखी गई है। साथ ही संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौतों की बिसरा जांच के सैंपल भी बड़ी संख्या में यहां जमा हैं। 

एएसपी लखन पटले के मुताबिक, पूर्व में गांजा जब्ती की जो कार्रवाई होती थी, उसे संबंधित थानों के मालखानों में रखा जाता था, लेकिन पिछले चार-पांच साल से जब्त गांजा रखने के लिए पुलिस लाइन में एक अलग यार्ड बनाया गया है। गांजा वहां रखा जा रहा है। साथ ही एक्सीडेंट तथा चोरी के जब्त वाहनों को माना में रखने की व्यवस्था की गई है। आउटर के थानों में जहां अतिरिक्त जगह है, वहां अपने क्षेत्र के एक्सीडेंट तथा चोरी के मामलों में जब्त वाहन रखे जाते हैं। इसके बावजूद पुराने मामलों के जब्त सामान से मालखाने भरे हुए हैं।

गांजा रखने बनाया गया यार्ड नाममात्र का 

थानों के मालखानों में जगह की कमी को देखते हुए एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई में जब्त गांजा मामले का खात्मा होते तक सुरक्षित रखने पुलिस लाइन में एक अलग यार्ड बनाया गया है, लेकिन अलग यार्ड होने के बावजूद वहां गांजा नहीं रखा जाता है। जब्त गांजा संबंधित टीआई अपने थाने के मालखाने में ही रखे हुए हैं। माल मुंशी बगैर टीआई के निर्देश के गांजा यार्ड में जमा नहीं करा सकते। इसके चलते भी मालखाने में जगह की कमी हो रही है। गांजा रखने ज्यादा स्पेस की जरूरत पड़ती है।

इन थानों के मालखाने में बिसरा की भरमार 

ज्यादातर असामयिक मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विवाद से बचने संबंधित डॉक्टर बिसरा की अनुशंसा कर देते हैं। इनमें एक्सीडेंट से हुई मौत के भी मामले शामिल रहते हैं। इसके चलते आउटर के थाने खमतराई, उरला, धरसींवा, आमानाका, कबीर नगर, मंदिर हसौद, माना, राखी, अभनपुर के अलावा शहर के थाने तेलीबांधा, टिकरापारा, डीडीनगर तथा पुरानी बस्ती में बिसरा सैंपल की भरमार है। जब तक मामले का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक पुलिस को बिसरा सैंपल संभालकर रखने पड़ते हैं।

थानों के मेहमान बने चूहे

 मालखानों में रखा गांजा तथा शराब की भरमार होने की वजह से ज्यादातर थानों में चूहों ने अपना परमानेंट ठिकाना बना लिया है। चूहे जेरिकेन तथा प्लास्टिक की शीशी को कुतरकर उसमें रखी शराब पी जाते हैं। इसके अलावा गांजे की थैलियों को कुतर देते हैं। इसके चलते माल मुंशी समय-समय पर मालखाने की सफाई कराते हैं, साथ ही चूहे जहां बिल बनाते हैं, उसे सीमेंट से पैक करा देते हैं।

कीमती सामान माल मुंशी की निगरानी में

चोरी के मामलों में कीमती सामान, जिसमें सोने-चांदी के जेवर तथा नकद राशि जब्त होती है, उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित थाना क्षेत्र के माल मुंशी की होती है। उस जगह पर अलग से आलमारी में नकदी तथा सोने-चांदी के जेवर माल मुंशी अपनी निगरानी में रखता है। पुलिस अफसरों के मुताबिक ज्यादातर कीमती सामान कोर्ट के मालखाने में जमा किया जाता है। कोर्ट के निर्देश पर ही थानों के मालखाने में कीमती सामान रखा जाता है।

हजारों चाकू, छुरे घातक हथियार जमा

शहर के ज्यादातर थानों के मालखाने मारपीट तथा हत्या के मामलों में जब्त हथियारों से अटे पड़े हैं। शहर के संवेदनशील थाने मौदहापारा, टिकरापारा, आजाद चौक, सिविल लाइंस तथा खमतराई के मालखाने में जमा चाकू, छुरे की संख्या हजारों में है। लंबे अरसे से हथियारों का नष्टीकरण नहीं होने की वजह से मालखानों में हथियार डंप पड़े हैं।

जगह बनाने व्यवस्था की जाएगी : एसएसपी

 एसएसपी संतोष सिंह के मुताबिक, उन्होंने स्वयं अलग-अलग थानों में पहुंचकर मालखाने का जायजा लिया है। वहां सामान रखने जगह की कमी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए जिन मामलों का निपटारा हो गया है, उन मामलों के गैरजरूरी सामान, जिसमें दस्तावेज के अलावा हथियार तथा जब्त शराब को अभियान चलाकर नष्टीकरण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब्त वाहनों की जल्द नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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