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रविवि की वेबसाइट और नकली वेबसाइट में मात्र डॉट (.) और डेश (-) का ही अंतर है। रविवि की वेबसाइट https://www.prsu.ac.in/ है जबकि फर्जी वेबसाइट https://www.prsu-ac.in/ है।

रायपुर। ऑनलाइन पैसे वसूलने ठगों ने इस बार छात्रों को ही निशाना बनाया। इसके लिए उन्होंने पं. रविशंकर शुक्ल विवि की नकली वेबसाइट तैयार की। इसे हूबहू रविवि की ओरिजनल वेबसाइट की तरह ही डिजाइन किया गया। पाठ्यक्रमों की जानकारी, सिलेबस, गतिविधियों की जानकारी से लेकर सभी तरह की चीजें इसमें समाहित की गई। छात्रों को ऑनलाइन आवेदन का भी विकल्प दिया गया। ऑनलाइन आवेदन करने के बाद छात्रों को फीस का भुगतान भी करना होता है। फर्जी वेबसाइट में फीस भुगतान के लिए जो सिस्टम जनरेट किया गया, उसके माध्यम से पैसे रविवि के अकाउंट में ना जाकर फजी वेबसाइट बनाने वाले ठगों के खाते में जाते। 

मजे  की बात यह है कि, रविवि की आधिकारिक वेबसाइट और नकली वेबसाइट में मात्र डॉट (.) और डेश (-) का ही अंतर है। रविवि की आधिकारिक वेबसाइट  https://www.prsu.ac.in/ है, जबकि फर्जी  वेबसाइट https://www.prsu-ac.in/ है। इस कारण बड़ी संख्या में छात्र इससे भ्रमित भी हुए। रविवि ने अपने आधिकारिक वेबसाइट में इससे संबंधित सुचना चस्पा की है। वहीं साइबर सेल ने रविवि से मिलते-जुलते फर्जी वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया है लेकिन किसने यह वेबसाइट बनाई है, इसकी जांच नहीं की गई है।

मौजूद थे सभी तरह के विकल्प

रविवि ना केवल परीक्षा फॉर्म बल्कि सभी तरह के आवेदन ऑनलाइन भरने के विकल्प देता है। इसमें माइग्रेशन, डूप्लीकेट मार्कशीट, पीएचडी डिग्री सहित कई तरह की चीजें शामिल हैं। ठगों ने भी फर्जी वेबसाइट पर सभी तरह के विकल्प छात्रों को मुहैया कराए थे, ताकि वे अधिक से अधिक पैसों की उगाही कर सकें।

व्हॉट्सएप ग्रुप में वायरल हुए स्क्रीनशॉट 

कई छात्रों ने आवेदन के दौरान इस फर्जी वेबसाइट को असली मानकार खोला भी, लेकिन बाद में भुगतान के दौरान उन्हें कुछ गड़बड़ी का अंदेशा हुआ। छात्रों के हॉस्टल व्हॉट्सऐप ग्रुप से लेकर अन्य व्हॉट्सऐप ग्रुप में इसके स्क्रीनशॉट भी वायरल हुए। रविवि प्रबंधन को जब इसकी जानकारी मिली तो इसकी शिकायत साइबर सेल में की गई। साइबर सेल के मुताबिक, रविवि ने मात्र फर्जी वेबसाइट की शिकायत की है। छात्रों संग ठगी या पैसे निजी खाते में जमा होने की शिकायत नहीं की गई है।

साइबर सेल में शिकायत

रविवि के मीडिया प्रभारी प्रो. राजीव चौधरी ने बताया कि, छात्रों से ठगी का मामला अभी सामने नहीं आया है। रविवि प्रबंधन ने खुद ही संज्ञान लेते हुए फर्जी वेबसाइट की सूचना साइबर सेल को दी थी।

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