बिलासपुर। दो जननांग वाले युवक के कैंसर का इलाज करने में सिम्स के डॉक्टरों ने सफलता हासिल की है। युवक के पेट के अंदर की ओर फीमेल पार्ट भी मौजूद था। निजी अस्पताल में इलाज कराकर थक चुके युवक ने 8 माह पहले ही सिम्स के डाक्टरों से संपर्क किया। इलाज के दौरान डॉक्टरों को युवक के शरीर में दो जननांग होने का पता चला, जिसमें फीमेल पार्ट में कैंसर के लक्षण भी दिखाई दिए। कीमो थैरेपी की मदद से कैंसर का इलाज कर दिया गया है, लेकिन युवक के शरीर में दो जननांग अब भी मौजूद हैं। सिम्स के कैंसर डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ चंद्रहास ध्रुव ने बताया कि युवक करीब आठ महीने पहले इलाज के लिए आया था। उस समय उसे लगातार तीन-चार महीने से बुखार आ रहा था और पेट में दर्द की शिकायत थी। इस दौरान सीटी स्कैन और एमआरआई में गांठ भी दिखने लगा था।
दरअसल, 26 वर्षीय युवक के शरीर में महिला और पुरूष दोनों जननांग पाए गए वहीं, फीमेल जननांग में ट्यूमर हो गया था। जिसके बाद सिम्स के कैंसर विभाग की टीम ने जांच शुरू की। खास बात यह है कि, पेट के अंदर महिला जननांग होने के कारण युवक को इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन एमआरआई के दौरान डॉक्टरों को इसका अंदाजा हो गया था, बताया जा रहा है कि देश में तीसरा केस है। वहीं, लाख लोगों में इस तरह के मामले सामने आते हैं। जननांग में आए कैंसर को सर्जरी से ठीक कर लिया गया। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि एक अंडाशय निकालना पड़ा है। इसकी वजह से उसके पिता बनने की संभावना न के बराबर रह गई है। लेकिन अब वह सामान्य जीवन जी रहा है। इस मामले में डॉक्टर का कहना है कि, उसे पूरी तरह से ठीक होने में कम से कम दो साल का समय लगेगा और उसे लगातार फालोअप में रखा गया है। 2 साल बाद ही उसे पूरी तरह से स्वस्थ कहा जा सकता है।
महिला जननांग का यह है कारण
डॉ.चंद्रहास का कहना है कि, मेडिकल साइंस के मुताबिक जब बच्चा गर्भाशय में रहता है तो जननांग बनने की प्रक्रिया पहले महीने से सातवें महीने के बीच तक होता है। पुरुष और महिला बनने की प्रक्रिया दो अलग-अलग नलियों से तय होता है। अगर फीमेल वाली नलियां बनना शुरू हुआ तो लड़की पैदा होती है और इसी तरह की प्रक्रिया मेल के लिए भी होती है। लेकिन, सिम्स पहुंचे युवक के साथ मामला ही अलग है। जब वह गर्भ में था तो उसके दोनों जननांग एक साथ विकसित होने लगे और इसी वजह से उसमें महिला और पुरुष दोनों के जननांग बन गए। मेडिकल साइंस में यह बेहद ही दुर्लभ मामला है।
प्राइवेट पार्ट नहीं दिखता
जब भी कोई बच्चा होता है तो डॉक्टर उसके प्राइवेट पार्ट को देखकर जेंडर का निर्णय लेते हैं जबकि इंटरसेक्स बच्चे का लिंग साफ तौर पर नहीं दिखता। कई बार इन बच्चों में महिला और पुरुष दोनों के प्राइवेट पार्ट दिखते हैं। यह सब जीन और हार्मोन की गड़बड़ी के कारण होता है।
रिपोर्ट के बाद डॉक्टर हो गए हैरान
शुरुआती जांच के बाद युवक के कैंसर पीड़ित होने की आशंका हुई। लिहाजा, उसका सीटी स्केन और एमआरआई कराई गई, वहीं बायोप्सी जांच के लिए भेजा गया। जिसमें उसके महिला जननांग, यूटूर्स जानकारी मिली। इस तरह के मामले को मेडिकल भाषा में डीएसडी यानी डिसऑर्डर ऑफ सेक्सुअल डेवलेपमेंट कहा जाता है। वहीं उसमें एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर भी पाया गया है।
रेयर केस में बन जाते हैं एक जैसे हार्मोन
डॉ. चंद्रहास ध्रुव ने बताया कि इंटरसेक्स को मेडिकल भाषा में डीएसडी यानी डिसऑर्डर ऑफ सेक्सुअल डेवलेपमेंट कहा जाता है। जब कोई लड़का होता है तो उसमें एक्सवाई और लड़की में एक्स एक्स क्रोमोजोम होते हैं। एक्स वाई टेस्टिकल्स बनाते हैं जो पुरुषों में प्रजनन अंगों को बनाते हैं। इससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता बनती है, इसलिए कहा जाता है कि अगर एक्सएक्स से मिलता है तो लड़की होती है और एक्सवाई मिलता है तो लड़का होता है। वहीं, महिलाओं में ओवरी प्रजनन के लिए जिम्मेदार होती है। कई बार कुछ दोष होने पर यह दोनों एक जैसे हार्मोन बना देते हैं। कुछ मामलों में क्रोमोजोम ठीक होते हैं लेकिन हार्मोन में कुछ गड़बड़ी हो जाती है। कुछ बच्चों में वाई क्रोमोजोन होने के बाद भी उनमें लड़कियों जैसे गुण आ जाते हैं। वहीं, कुछ मामलों में एक्स एक्स क्रोमोजोम तो होते हैं लेकिन एड्रिनल ग्लैंड पुरुषों वाले हार्मोन बनाने लगते हैं। इससे शरीर में सब अंग लड़कियों वाले होते हैं लेकिन गुण पुरुषों वाले होते हैं। डॉ. ध्रुव के अनुसार इस तरह के मामले 1 लाख बच्चों में 1 ही होते हैं।