लीलाधर राठी - सुकमा। सुकमा जिले के कोंटा थाने का ग्राम इतकल....अजीब सन्नाटे में डूबा हुआ है। गलियों में लोग नहीं दिखते, ज्यादातर घरों के दरवाजे बंद थे। एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के बाद इतकल गांव सदमे में हैं। हर किसी के चेहरे पर दहशत नजर आती है। पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं खबर यह भी है कि 35 लोगों को हिरासत में भी लिया गया है।
गांव वाले अभी खुलकर बात नहीं करते। कुछ कहते हैं - यह एक दिन में नहीं - हुआ। यह कई साल की नफरत, शक और आपसी रंजिश का नतीजा है। इतकल में बीते कई साल से करीब दो दर्जन से ज्यादा लोग मरे हैं। ज्यादातर की मौत मंगलवार के दिन ही हुई है। मौसम परिवार सिरहा गुनिया का काम करते थे। हर एंगल से होगी जांचः इस मामाले को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश राव ने कहा कि, मामले को पूरी गंभीरता से लेते हुए गांव के कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस इस घटना को लेकिन अलग अलग एंगल से जांच हो रही है।
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कैंप से 2 किमी की दूरी पर खेला गया खूनी खेल
जघन्य हत्या वाले ग्राम इतकल में घटित घटना के पीछे अभी भी कई सवाल खड़े हैं। ग्रामीणों के बीच नफरत की चिंगारी पिछले 2 माह से ज्यादा भड़की हुई थी लेकिन इस बात से स्थानीय प्रशासन अंजान बना रहा। घटना के बाद पांच आरोपी ग्रामीणों ने स्वयं से होकर कोन्टा थाने में सरेंडर कर दिया। लेकिन इस घटना में बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। पुलिस ने तीन दर्जन को हिरासत में भी लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
प्रत्येक मंगलवार एक मौत इससे संदेह गहराया
ग्रामीण शक की निगाह से देख रहे थे। बताया जाता है पिछले कुछ वर्षों 1 मौसम परिवार के मौसम कन्ना व करका लच्छी के ऊपर कई दिनों से से इस गांव में सामान्यतः दो दर्जन से अधिक मौतें हुई थी। बताया जाता है कि गांव में मौसम परिवार सिरहा गुनिया का काम देखते थे। वहीं हाल ही में प्रत्येक मंगलवार को नाबालिग | बच्चों की मौत से ग्रामीण खफा हो गये। सूत्रों के अनुसार नजदीकी एक ग्राम के वड्डे के द्वारा गांव में मौत का कारण मौसम परिवार को बताया। खूनी खेल खेल कर पूरे मौसम परिवार को ही मौत के घाट उतार दिया गया।
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पहले से ही रची गई थी साजिश
हरिभूमि संवाददाता जब नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत बंडा के ग्राम इतकल पहुंचा तो चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। एक दर्जन से अधिक जवानों की मौजूदगी भले ही दहशत कम करने का प्रयास कर रही हो लेकिन गांव में पसरा सन्नाटा 24 घंटे के बाद भी दूर नहीं हो सका था। आलम यह था कि घटना वाले इस गांव में पुरुष दूर-दूर तक नजर नही आ रहे थे जबकि गांव में एक दो परिवार में महिलायें जरूर मिली लेकिन कोई भी इस घटना को लेकर बात करने को तैयार नहीं थी। इसी बीच हरिभूमि संवाददाता ने गांव के एक महिला से स्थानीय बोली में चर्चा की तो बताया कि 15 सितंबर को 7 बजे पहली बैठक गांव के एक आम पेड़ के नीचे हुई थी लेकिन गांव वाले मौसम परिवार के मुखिया मौसम बुच्चा को लाने की जिद्द करने लगे जिस पर मौसम परिवार ने प्रधान आरक्षक मौसम बुच्चा को बुलाया और उसके आते ही उसके घर पर ही पूर्व से ही तैयार बैठे ग्रामीणों ने एक मत हो कर हमला कर दिया। बताया जाता है कि सबसे पहले मौसम परिवार की बहन करका लच्छी की हत्या की गई।