अक्षय साहू -राजनांदगाव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगाव जिले में कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे सुरेंद्र दाऊ ने इन दिनों पूर्व सीएम भूपेश बघेल की खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पार्टी से निकाले जाने के बाद गुरुवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जहां उन्होंने भूपेश बघेल के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला और कहा कि, कार्यकर्ता सम्मलेन में यदि कोई कार्यकर्ता अपनी बात रखता है तो मुझे नहीं लगता है कि, यह पार्टी विरोधी काम है। जिसके बाद उन्होंने तीन पन्ने का लेटर जारी किया है।
मिडिया को जारी लेटर में सुरेंद्र दाऊ ने लिखा है कि, शायद आपको और ना ही उन्हें पता है कि मैंने अपनी आधी लड़ाई जीत ली है। पांच साल में कार्यकर्ता और राजनांदगांव की जनता आपसे मिलने को तरस गई थी। अब परिस्थिति ऐसी बनी कि, पूर्व सीएम भूपेश बघेल कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनकी बातें सुन रहे हैं और उनसे हार- माला पहन रहे हैं यही तो मैं चाहता था। अब आगे की लड़ाई संस्कारधानी को जीतनी है और मुझे पूरा विश्वास है कि, वे ऐसे अहंकारी को अपनी बागडोर नहीं देगी। जिसने अपने पांच साल के कार्यकाल में जिले से सिर्फ छीना ही है दिया कुछ भी नहीं। यह स्थिति प्रदेश में भी है इस कारण कांग्रेस को आम जनता ने 35 सीटों पर लाकर खड़ा कर दिया।
सुरेंद्र दाऊ ने फिर खोला मोर्चा...बघेल को दी ओपन डिबेट की चुनौती, बोले- मैंने पार्टी के कार्यक्रम में रखी अपनी बात@bhupeshbaghel @INCChhattisgarh #chhattisgarhNews #LokSabhaElection2024 pic.twitter.com/Uk6yVCTm2J
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) March 28, 2024
अलालीराम ने दी पार्टी के लिए जान, लेकिन आपने नहीं ली सुध
पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुरेंद्र दास वैष्णव ने आगे कहा कि, सुरेंद्र दाउ कौन है? यह आप भूल गए होंगे मैं आपको याद दिलाता हूं। हमने 17 जिला सदस्यों के साथ मिलकर उस समय के जिला अध्यक्ष अलालीराम यादव जी के नेतृत्व में जिला पंचायत में पहली बार कांग्रेस की सरकार बनाई और हमने मुखर होकर राज्य सरकार का विरोध किया और जेल तक गए। श्री वैष्णव ने कहा कि, अब यह मत पूछिएगा आदरणीय कि, अलालीराम जी कौन है, अलालीराम जी वही हैं जिन्हें आपने कोरोना काल में डीआरओ बनाकर यूपी भेजा। इसके बाद उन्हें कोरोना हो गया था और उनकी जान चली गई। उन्होंने कांग्रेस के लिए काफी संघर्ष किया, अब वह हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन आपने उनके परिवार की कभी पूछ परख नहीं की। जबकि उनके रहते आपने उनका भरपूर उपयोग किया, लेकिन जब साथ खड़े रहने की बात आई तो आपने मूड़कर नहीं देखा।
आपके चहेते नेताओं ने डोंगरगढ़ में भरपूर बेची शराब
उन्होंने आगे लिखा कि, मैं वहीं सुरेंद्र दाउ हूं, जिसे आपने संभागीय कार्यक्रम की बागडोर सौंपी थी। उसी कार्यक्रम में भूपेश बघेल जी आपने हाथ में गंगाजल रखकर झूठी कसम भी खाई थी, मेरे सहित पूरा राजनांदगाव साक्षी है। आपने गंगाजल हाथ में रखकर शराबबंदी करने की कसम खाई और आपके चहेते नेता ने धर्मनगरी डोंगरगढ़ को भी नहीं छोड़ा वहां टेबल लगाकर शराब बेची गई। धर्मनगरी को भी बदनाम करने में आप और आपके चहेते पीछे नहीं रहे। अब सवाल आता है मेरी सुरक्षा का।
पार्टी से निकाले जाने का नहीं है मलाल
मैनें जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहते सत्ता सरकार का पुरजोर विरोध किया। लेकिन असुरक्षा का भाव मेरे और मेरे शुभचिंतकों में नहीं आया, लेकिन सिर्फ एक बार आपका विरोध करने पर मेरे अपने लोग सुरक्षा की बात करने लगे हैं। क्योंकि आपने भय और आतंक की राजनीति की है। इसलिए मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा की जरूरत महसूस हुई है। मैंने कार्यकर्ताओं और मेरे मन की बात मैंने कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कही, उस पर मुझे कांग्रेस से निष्काषित कर दिया गया, इसका मुझे मलाल नहीं है। मैं अपने लोगों के बीच रहूंगा और उनके लिए सदैव उपलब्ध रहूंगा। दाउ ने कहा कि वैसे भी भूपेश जी आप कांग्रेस पार्टी की प्राइवेट लिमिटेड बना दिए हैं, जिसे चाहे अपनी मर्जी से बाहर निकाले।
सुरेंद्र दाउ ने बघेल से पूछे सवाल
सुरेंद्र दाउ ने पूर्व सीएम भूपेश बगले से सवाल पूछते हुए कहा कि, संस्कारधानी की जनता के कुछ सवाल है, उसे वे पत्रकारी के माध्यम से रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि, लोकसभा चुनाव आप जीत जाते हैं तो लोकसभा में बने रहेंगे या फिर विधानसभा ही जाएंगे। अगर आप अपनी पाटन विधानसभा को छोड़ते हैं तो वहां से राजनांदगांव जिले के किसी नेता को मौका देंगे क्या या फिर आपके परिवार का सदस्य चुनाव लड़ेगा. यदि आप लोकसभा चुनाव जीत जाते है तो यहां के नागरिकों को अपना काम कराने के लिए पाटन जाना होगा या फिर डोंगरगढ़, यह भी स्पष्ट कर दें।
जनता के अलावा साथी नेताओं से भी की वादाखिलाफी
श्री दाउ ने आगे कहा कि, प्रदेश में चुनाव के पहले आपने छग की भोली-भाली जनता से कई वादे किए, जिसे आप निभा नहीं पाए। इस कारण कांग्रेस की सरकार प्रदेश में आपके साथ से फिसल गई। इसके अलावा वादाखिलाफी करने में भूपेश जी आपने अपने साथियों को भी नहीं छोड़ा। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात बंद कमरे की थी जो जगजाहिर थी। कई समाचार पत्रों ने उसे खुलकर प्रकाशित भी किया। लेकिन प्रदेश में ढाई साल राज करने के बाद आपने साथी और कद्दावर नेता से वादाखिलाफी की, यह आपकी फितरत में शामिल हो गया है। इसलिए आप एक बार और संस्कार धानी की जनता को धोखा देने चुनावी मैदान में है।
कांग्रेस के मंच पर भी कहा गया था आपको बिका हुआ
कांग्रेस के मंच पर हुए कई विवादों को लेकर श्री दाऊ ने कहा कि, भूपेश जी आप भूल गए होंगे कि पिछले लोकसभा चुनाव में आपके चहेते और कद्दावर मंत्री ने लोकसभा के लोगों को भरे मंच से बिका हुआ कहा था और आप मुस्कुराकर इस बात को टाल गए थे। यदि यहां के कार्यकर्ता बिके हुए हैं तो भूपेश जी आप चुनावी मैदान पर है। बूथ स्तर के कार्यकर्ता भी बाहर से ला लो, वो आपके लिए काम करेंगे। अब आप आवाज उठाने वाले कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं को स्लीपर सेल कह रहे हैं। आपने कार्यकर्ताओं के मुंह पर थप्पड़ मारा है और इस थप्पड़ की गूंज राजनांदगांव सहित पूरे प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र तक जाएगी। वहां के परिणाम भी वैसे ही होंगे। इसके लिए सिर्फ आप और आप ही जिम्मेदार होंगे।
ओपन डिबेट के लिए किया चैलेंज
श्री दाऊ ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को खुला चैलेंज देते हुए कहा कि, जो भी बात मैंने आज कही है, उसका प्रमाण है। इसके लिए मैं आपको शहर के किसी भी चौराहे पर आमंत्रित करता हूं डिबेट के लिए। मैं आपसे हार गया तो राजनांदगांव जिला छोड़ दूंगा और आप जवाब नहीं दे पाए तो आपकों चुनावी मैदान छोड़ना होगा। दूसरी तरफ सुरेंद्र दाऊ ने कहा कि, जनता आपको वोट क्यों दे, यह बड़ा सवाल है क्योंकि आपने संस्कारधानी को कुछ नहीं दिया। यहां की पहचान हॉकी यहां के लिए आपने दो करोड़ रुपए देने की घोषणा की, लेकिन नहीं दिए।
राजनांदगाव के वरिष्ठ लोगों का बुलाकर किया अपमान
उन्होंने आगे कहा कि, दिग्विजय स्टेडियम बना, पूरे पांच साल आपके कार्यकाल में वहां लाइट तो दूर दिया तक नहीं जला। साथ ही राजनांदगांव के नेताओं को भी आपने कभी सम्मान नहीं दिया। आपने विधानसभा चुनाव के पूर्व जिले के सभी समाज के प्रतिष्ठित लोगों को बुलाया और अपमानित किया। जो वादा किया उसे भी पूरा नहीं कर पाए। इसका परिणाम आपको चुनाव में दिखा और फिर दिखेगा। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज बड़ी उपलब्धि थी। आपने उसे भी दरकिनार किया इस कारण हॉस्पिटल भी कोमा में जाता दिख रहा है। आपने राजनांदगांव को कुछ नहीं दिया, बल्कि यहां से सरकारी विभागों को दूसरे जिलों में शिफ्ट कर दिया है।