बिहारपुर। जंगल के रास्ते सीमावर्ती मध्यप्रदेश स्थित अपने घर जाने के लिए निकले ग्रामीण का मोहरसोप जंगल में हाथियों से सामना हो गया। हाथियों ने ग्रामीण को कुचलकर मारडाला। हाथियों के कुचलने के बाद दो दिनों तक शव जंगल में ही पड़ा रहा। चरवाहों से मिली सूचना पर वन अमले ने रविवार को सुबह मृतक कापीएम कराया एवं 20 किमी दूर रह रहे परिजन को बुलाकर शव सौंपा। विभाग ने जनप्रतिनिधियों के समक्ष परिजन को 25 हजार की तात्कालिक सहायता राशि प्रदान की। हाथियों से ग्रामीणों की मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। लम्बी राहत के बाद 12 हाथियों का दल 3- 4 दिन पूर्व ही सूरजपुर वनमण्डल अंतर्गत गुरूघासी दास नेशनल पार्क के सीमावर्ती बिहारपुर रेंज में पहुंचा है।
हाथी दिन में गुरूघासी दास नेशनल पार्क में चले जाते हैं इसलिए ग्रामीणों को हाथियों के पहुंचने की सूचना नहीं थी। इधर मध्यप्रदेश के माड़ा थाना अंतर्गत ग्राम बनइला निवासी माया राम नाई आ. जीवित राम नाई (65 वर्ष) 30 किमी की दूरी तय कर ग्राम मोहरसोप निवासी अपने गृहस्थों की हजामत बनाने के साथ ही वैवाहिक समारोह में शामिल होनेपहुंचा था। गृहस्थों का काम कर शुक्रवार को सुबह वह जंगल के रास्ते घर जाने के लिए निकला था। मायाराम चार किमी दूरी तय कर पाया था कि उसका हाथियों से सामना हो गया। हाथियों ने उसे कुचलकर मार डाला। गृहस्थों के घर जाने के कारण परिजन ने भी उसकी खोज खबर ली वहीं उसके घर के लिए निकलने के कारण गृहस्थ भी निश्चिंत हो गए।
गर्मी के दौरान बसनारा में जमाते हैं डेरा
गर्मी के मौसम में हाथियों के अलग- अलग दल बसनारा जंगल में तीन महीने तक डेरा जमाए रहते हैं। बसनारा जंगल में सदाबहार नदी एवं झरना होने के कारण हाथी सहज एवं सुरक्षित महसूस करते हैं। दल की गर्भवती हथिनियां जंगल में ही नदी किनारे प्रसव करती हैं। हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए क्षेत्रवासी तीन महीने तक बसनारा जंगल स्थित नदी के निकट नहीं जाते हैं।
सालो भर रहते हैं हाथी
गुरु घासी दास नेशनल पार्क एवं तमोर पिंगला अभ्यारण्य से सटा होने के कारण क्षेत्र में सालो भर हाथियों की आवाजाही जारी रहती है। अन्य दिनों में हाथी भोजन-पानी की तलाश में एक जंगल से दूसरे जंगल का सफर करने में व्यस्त रहते हैं लेकिन खरीफ एवं रबी की फसल तैयार होते ही आबादी क्षेत्र के निकट पहुंच जाते हैं तथा फसलों को तबाह करते हैं। अब गेहू की बालियां निकल गई हैं तथा दाने भरने शुरू हो गए हैं। गेंहू की फसल तैयार होने तक हाथियों का दल क्षेत्र में
सक्रिय रहेगा।
क्षेत्र में नहीं हैं पंडित-नाई
सीमावर्ती पाट क्षेत्रों के दर्जनों गांवों में पंडित, नाई एवं धोबी जाति के लोग नहीं हैं लिहाजा शादी- विवाह, मरनी एवं अन्य धार्मिक आयोजनों में क्षेत्रवासी सीमावर्ती मध्यप्रदेश से इन लोगों को सूचना देकर बुलाते हैं। ऐसा पिछले कई पुश्तों से चल रहा 1 है। एमपी निवासी मायाराम नाई को भी ग्रामीणों ने सूचना देकर वैवाहिक कार्यक्रम में बुलाया था। विवाह समारोह में शामिल होने के बाद मायाराम अपने गृहस्थों के घर-घर जाकर अपने पारंपरिक कार्यों को करने में व्यस्त हो गया।