महेंद्र विश्वकर्मा-जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों से सटे हुए घने जंगल हैं। जिससे यहां बहुतायत में वन्यजीव पाए जाते हैं। यही कारण है कि, जनवरी 2023 से जनवरी 2024 तक लगभग 13 माह में ग्रामीण क्षेत्र में जंगली जानवरों के हमले में 2 लोग मारे गए है। वहीं 2 लोग घायल हुए हैं और 47 पालतू पशु मारे गए हैं।
जंगली जानवरों के हमले में मारे गए दो परिवारों को 12 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गयी है। वहीं 2 घायलों को 63 हजार 843 रुपये और 47 पशुओं के मालिकों को 5 लाख 47 हजार 500 रूपए का मुआवजा दिया गया है। साथ ही संबंधित गांव के आसपास वन कर्मियों ने मुनादी के साथ-साथ पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे लोग वन्यजीवों से सतर्क रहें। बीते दिनों नैननार गांव में घर के आंगन में खेल रहे 2 साल के बच्चे को लकड़बग्घा ने अपना शिकार बना लिया। कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे की मां और ग्रामीणों ने लकड़बग्घे के जबड़े से बच्चे को आजाद कराने में सफल रहे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। जख्मी बच्चे को तत्काल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, जहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई।
जंगली सूअर के हमले से एक ग्रामीण की मौत
इसी तरह जंगली सुअर के हमले से एक ग्रामीण की मौत हो गई। साथ ही भालू और मगरमच्छ के हमले से दो ग्रामीण घायल हुए थे। तेंदुए ने चित्रकोट क्षेत्र के साकरगांव, बांझी डोंगरी (साडरा), लामनागुड़ा 8 से अधिक मवेशियों को घायल किया है और बकरी, मुर्गी और मुर्गा का भी शिकार किया है। क्षेत्र में वन कर्मियों ने पोस्टर लगाया है और उनके द्वारा लगातार मुनादी करायी जा रही है। वहीं आसपास के ग्रामीणों से अपील की गयी है कि, शाम 4 बजे से सुबह 8 तक पहाड़ी क्षेत्रों के आसपास न जाएं। अपने मवेशियों को घर में सुरक्षित स्थल पर बांध कर रखें। विशेष तौर पर बच्चों को डोंगरी के आस-पास न जाने दें और बच्चों पर विशेष नजर रखें।
वन कर्मी बनाते हैं प्रकरण
वन्यजीवों से जनहानि, घायल और पशुहानि की सूचना पर वन विभाग के रेंजर सहित अन्य अधिकारी पहुंचकर प्रकरण दर्ज कर उच्चअधिकारियों के माध्यम से शासन को भेजते हैं. जिससे शासन की ओर से मुआवजा दिया जाता है। साथ ही जनहानि होने पर तत्काल 25 हजार रूपए अंतिम संस्कार के लिए परिजनों दिया जा रहा है, उसके बाद शासन की ओर से लगभग 6 लाख रूपए परिजनों को मिलता है।
रेंजरों को दिए निर्देश
जिले के वन मंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता ने परिक्षेत्र अधिकारियों को निर्देश दिया कि, वे सूचना मिलते ही स्थल में पहुंच कर जांच करें और जनहानि, घायल और पशुहानि का प्रकरण दर्ज करें। साथ ही ग्रामीणों को जागरूक करें कि, वन्यजीव होंने की सूचना दें और वन्यजीवों से सतर्क रहें।