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आचार्य विद्या सागर जी का अस्थि कलश जमीन में दबाया जाएगा। वहीं पर उनकी समाधि बनाई जाएगी। समय सागर महाराज जी पदभार संभालेंगे।

राजनांदगांव। आचार्य विद्या सागर जी महाराज ने 17 फरवरी की रात 2:35 बजे समाधि ली। रविवार की दोपहर को उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। मंगलवार 20 फरवरी को उनका अस्थि संचय किया जाएगा। चिता की राख लेने के लिए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों से लोग पहुंच रहे हैं।
  
जैन धर्म में अस्थियों को जल में विसर्जित नहीं किया जाता। इसलिए आचार्य विद्या सागर जी की अस्थियों का कलश में संकलन कर उसे जमीन में दबाया जाएगा और वहीं पर उनकी समाधि बनाई जाएगी। 

Vinayanjali Sabha
सोमवार को हुई विनयाजंलि सभा में संतों ने पाठ किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।

अब भी जल रही चिता

अंतिम संस्कार स्थल पर अभी भी अग्नि जल रही है। यहां पर स्वामी जी के अनुयायी नारियल चढ़ाकर भभूत अपने साथ लेकर जा रहे हैं। अंतिम संस्कार स्थल पर अभी भी अग्नि जल रही है।

समय सागर जी महाराज को सौंपी जाएगी गद्दी 

आचार्य विद्या सागर जी ने 6 फरवरी को आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने मुनि समय सागर जी महाराज को आचार्य पद देने की घोषणा की थी। मुनि समय सागर महाराज के चंद्रगिरी तीर्थ पहुंचने के बाद विधिवत तरीके से उन्हें आचार्य की गद्दी सौंपी जाएगी। 

muni samay sagar maharaj
आचार्य विद्या सागर महाराज के शिष्य मुनि समय सागर महाराज 

पदयात्रा कर डोंगरगढ़ पहुंचेंगे मुनि समय महाराज

विद्या सागर जी के उत्तराधिकारी बनाए जाने के बाद मुनि समय मंगलवार को मध्यप्रदेश के रावल वाड़ी पहुंचे। वे वहां से 43 साधुओं के साथ पैदल यात्रा कर 22 फरवरी को बालाघाट से डोंगरगढ़ पहुंचेंगे। वहां पर उन्हें विधिवत आचार्य की गद्दी सौंपी जाएगी।

वसंत पंचमी के दिन से ही त्याग दिया था अन्न और संघ

फिर आचार्य विद्या सागर जी ने वसंत पंचमी के दिन से विधिवत सल्लेखणा धारण कर ली थी। उन्होंने उपवास ग्रहण कर अन्न और संघ छोड़कर अखंड मौन धारण कर लिया था।

कर्नाटक के बेलगांव में हुआ था जन्म 

आचार्य विद्या सागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। उन्हें आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को राजस्थान के अजमेर में आचार्य पद की दीक्षा दी थी।

आचार्य के भाई और बहनों ने भी ली है दीक्षा

आचार्य बनने के बाद विद्या सागर जी ने 8 मार्च 1980 को छतरपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को पहली दीक्षा दी। इसके बाद सागर जिले में योग सागर और नियम सागर महाराज को दीक्षित किया। समय सागर और योग सागर उनके गृहस्थ जीवन के भाई हैं। उनकी दो बहनें शांता और सुवर्णा भी दीक्षा ले चुकी हैं।

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