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समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांगों को दी जाने वाली उपकरणों में ऐसा खेल किया कि दर्जनों हितग्राहियों को एक और  2 साल के भीतर ट्राईसिकल और व्हीलचेयर बांट दिए गए। 

राजनांदगांव।  समाज में दिव्यांग व्यक्तियों की मदद और सेवा के लिए सरकार समाज कल्याण विभाग का संचालन करती है। इस विभाग के जरिए दिव्यांगों को उनकी जरूरत मुताबिक उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं, समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांगों के साथ भी बड़ी ठगी कर दी है। विभाग ने पिछले कुछ सालों में एक ही नाम पर कई बार मोटर ट्राइसिकल और बैशाखी का वितरण कर दिया है। जबकि हरिभूमि की टीम ने जब उन दिव्यांगों से सच जानने के लिए पड़ताल की तो पता चला कि उन्हें एक बार ही उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। जबकि सूची में उनका कई दफा नाम शामिल है।  समाज कल्याण विभाग राजनांदगांव की सूची में ऐसे दर्जनों नाम हैं। इनमें कुछ की कहानी आपके सामने लाने के लिए हरिभूमि की टीम ने पड़ताल की। इसी सूची में शामिल एक नाम है मेघराज जैन जिन्हें वर्ष 2016 से 2023 के मध्य समाज कल्याण विभाग ने  आधा दर्जन बार नाम की एंट्री कर उन्हें ट्राइसिकल देना बताया गया है। हर एंट्री में उनकी उम्र से लेकर दिव्यांग का प्रतिशत अलग-अलग कर दिया गया है। 

ऐसे ही नवगठित खैरागढ़ जिले के बढ़ई टोला ग्राम में रहने वाले चंद्रकुमार वर्मा का सूची में तीन बार नाम शामिल है, इन्हें 2023 में बैशाखी दी गई, 2018 में मोटर ट्राइसिकल और 2017 में बैशाखी, लेकिन बड़ी बात यह है कि इन तीनों दफा चंद्रकुमार की उम्र अलग-अलग एंट्री की हुई है। 2018 में 62 वर्ष की एंट्री के बाद 2023 में उनकी उम्र 57 वर्ष दर्ज की गई है। ऐसे ही खैरागढ़ जिले के ठेलकाडीह ग्राम के प्रेमचंद्र टंडन पिता अंकलहाराम के नाम पर एक ही दिनांक में दो मोटर ट्राइसिकल का वितरण दर्ज किया गया है और दोनों ही एंट्री में दिव्यांगता का प्रतिशत अलग-अलग दर्ज किया गया है। राजनांदगांव शहर के हल्दी वार्ड में रहने वाली अनिता साहू के नाम पर भी 25 जुलाई 2018 को दो ट्राइसिकल का वितरण दर्ज किया गया है। इसमें एक एंट्री में उम्र 41 वर्ष और दूसरी में 25 वर्ष दर्ज की गई है। ऐसे ही और भी सैकड़ों नाम समाज कल्याण विभाग राजनांदगांव की सूची में शामिल है, जिनके नाम पर विभाग में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है।

नियमों की भी अनदेखी

मिली जानकारी के अनुसार समाज कल्याण विभाग द्वारा बैशाखी, ट्राइसिकल से लेकर स्कूटी तक के वितरण को लेकर नियम तय है। इनमें दिव्यांग व्यक्ति के कितने प्रतिशत दिव्यांग होने पर उपकरण दिया जाना है, यह भी निर्धारित है, लेकिन इस नियम की भी विभाग द्वारा जमकर धज्जियां उड़ाई गई है। सूची के अनुसार 40 फीसदी दिव्यांग लोगों को भी स्कूटी का वितरण कर दिया गया है। ऐसे ही 50 से 60 फीसदी दिव्यांग को बैटरी ट्राइसिकल दे दी गई है।

कर चुके शिकायत

दिव्यांग संघ के अध्यक्ष हेमेंद्र साहू ने बताया कि, शासन के साथ ही जिला कलेक्टर से भी इस मामले में संघ ने शिकायत की है। जरूरतमंद दिव्यांगों को विभाग द्वारा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते, जब वे दफ्तर पहुंचते हैं तो उन्हें पहले से उपकरण दिए जाने की सूचना दी जाती है। इस मामले में जांच के लिए भी मांग की गई है। 

शिकायत की, जांच की मांग

प्रदेश भाजपा महामंत्री भरत वर्मा ने बताया कि, समाज कल्याण विभाग राजनांदगांव द्वारा बड़े स्तर पर दिव्यांगों के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है। एक ही व्यक्ति के नाम पर कई बार उपकरण वितरण की फर्जी सूची तैयार की गई है। शासन से शिकायत कर जांच की मांग की जाएगी।

15 साल पहले मिली ट्राइसिकल

राजनांदगांव के दिव्यांग  मेघराज जैन ने बताया कि, मुझे सरकार की तरफ से लगभग 15 साल पहले ट्राइसिकल मिली थी, उसके बाद आवेदन करने पर भी अब तक कोई मदद नहीं मिली। 

सिर्फ एक बार मिली मदद

अमलीपारा के दिव्यांग कमलेश दास मानिकपुरी के बताया कि, मुझे समाज कल्याण विभाग से सिर्फ एक बार ही मदद मिली है। मेरा नाम दो से तीन बार कैसे आ गया, मुझे जानकारी नहीं है।

 मुझे जानकारी नहीं

बढ़ईटोला द्रभान वर्मा ने बताया कि , सूची में मेरा नाम तीन बार दिखाया गया है, लेकिन मुझे सिर्फ एक बार ही ट्राइसिकल मिली है।

सूची प्रमाणित नहीं

राजनांदगांव के समाज कल्याण विभाग  के प्रभारी अधिकारी बीएल ठाकुर ने बताया कि, सूर्ची प्रमाणित नहीं है, प्रिंट के दौरान कॉपी-पेस्ट की वजह से कई नाम बार-बार आ गए होंगे। विभाग में नियम अनुसार ही उपकरण का वितरण किया गया है।

 

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