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बिलासपुर जिले से 6 साल पहले झारखंड ले जाई गई बाघिन गौरी ने अपने 4 बच्चों को खुद ही दबाकर मार डाला। झारखंड के रांची स्थित बिरसा जैविक उद्यान में बाघिन गौरी के शावक उसके बेहद करीब चले गए थे।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से 6 साल पहले झारखंड ले जाई गई बाघिन गौरी ने अपने 4 बच्चों को खुद ही दबाकर मार डाला। झारखंड के रांची स्थित बिरसा जैविक उद्यान में बाघिन गौरी के शावक उसके बेहद करीब चले गए थे। इसी दौरान बाघिन अपने बच्चों के उपर सो गई और दबने से चारों चारों शावकों की जान चली गई।

प्रबंधन की नाक के नीचे गई जान 

बाघिन गौरी के प्रसव होने की जानकारी प्रबंधन को थी। उसने 10 मई को आधी रात में चार शावकों को जन्म दिया था। रात में सभी नवजात शावक मां के काफी करीब आ गए। जब मां ने करवट बदली तो उसके बच्चे नीचे दब गए और उनकी मौत हो गई। जब प्रबंधन को इस बात का पता चला तो उनके होश उड़ गए और बाघिन को बच्चों से दूर हटाया गया। लेकिन तब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी थी और एक बच्चे की सांस चल रही थी। लेकिन कुछ समय ने चौथे बच्चे ने भी दम तोड़ दिया। प्रबंधन की नाक के नीचे ऐसी घटना हो जाना प्रबंधन पर सवाल खड़े कर रही है। जबकि सीसीटीवी कैमरे से मॉनिटरिंग भी की जा रही थी। 

चारों बच्चों के साथ बाघिन
चारों बच्चों के साथ बाघिन

डॉक्टर बोलीं- चारों बच्चे थे स्वस्थ 

बिरसा जू के डॉक्टर डॉ. ओपी साहू ने बताया कि, बाघिन गौरी ने पहली बार बच्चों को जन्म दिया था। 10 मई की रात 2 बजे उसने पहले शावक को जन्म दिया था। फिर एक के बाद चार शावकों का जन्म हुआ और सभी बच्चे सामान्य और स्वस्थ थे। यहां तक की एक बच्चे का वजन एक किलो था जबकि अन्य तीन का वजन 900 से 950 ग्राम के बीच था। सामान्य तौर पर मां अपने बच्चे का केयर खुद करती है। विषम स्थिति में ही बाहरी सपोर्ट दिया जाता है। 11 मई के पूरे दिन तक सब सामान्य था। चूंकि बाघ के बच्चे की आंख जन्म के 15वें दिन खुलती है। ऐसे में इन दिनों तक मां खुद केयर करती है और वह खुद ही दूध पिलाती है।

इंटरनल हेंम्रेजेज होने की वजह से हुई मौत

गौरी ने पहली बार शावकों को जन्म दिया था और 11 मई की रात बाघिन अपने बच्चों पर ही लेट गई। जिस वजह से दम घुटने से मौत हो गई। जब जानकारी मिली तो एक बच्चे को निकाला गया। उसे दूध पिलाने की कोशिश की गई लेकिन इंटरनल हेंम्रेजेज होने की वजह से मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद 12 मई को जू के भीतर बने दाहगृह ​​​​​​में शवों को जलाया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होने की बात सामने आई है।

6 साल पहले छत्तीसगढ़ से गई थी रांची 

6 साल पहले 2018 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर चिड़ियाघर से लाया गया था। बिरसा जू में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी की पहल के तहत इसे लाया गया था। वह पहली बार गर्भवती हुई थी। उसने पूरे 105 दिन के गर्भावस्था के पीरियड को पूरा करने के बाद बच्चों को जन्म दिया था। फ़िलहाल बिरसा जू में छह बाघिन हैं, जिसमें गौरी सहित अनुष्का, लक्ष्मी, कावेरी, कृष्णा और ताप्शी हैं। जबकि दो बाघ भी हैं और उनका नाम जावा और मलिक है।

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