बस्तर। ब्लॉक मुख्यालय बस्तर में 11वीं शताब्दी के शिव मंदिर में सावन सोमवार को भगवान महादेव का दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां के शिवलिंग को स्वयंभू कहा जाता है। यह शिवालय केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है।
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, बस्तर ग्राम में निर्मित संभाग के सबसे बड़े भानसागर जलाशय और इस शिवालय का निर्माण छिंदक नागवंशी राजाओं ने करवाया था। लोकमान्यता है कि यहां पहुंचने वालों की निःसंतानों की मनोकामना भोलेनाथ अवश्य पूरी करते हैं। वहीं इच्छा पूरी होने पर भक्त यहां त्रिशूल व धातु निर्मित नाग अर्पित करते हैं।
एक रात में बना था मंदिर
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्वयंभू शिव के प्रकट होने के बाद विश्वकर्मा द्वारा मंदिर की रचना की गई, जो एक रात में बना था। संरक्षित होने के कारण आसपास के क्षेत्र में निर्माण और उत्खनन प्रतिबंधित है। वहीं किसी तरह की शुटिंग की भी मनाही है। कल सावन का पहला सोमवार है इसलिए यहां स्थानीय श्रद्धालु पूजा पाठ करने पहुंचेंगे। पूरे सावन महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में दिखाई पड़ती है।