रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को बैगा परिवार की मौत के मामले में विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव पेश कर जमकर हंगामा किया। कांग्रेस विधायकों ने स्थानीय विधायक पर हत्या के आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया, जिस पर विधायक ने आक्रामक तेवर दिखाए। इस मामले को लेकर मंत्री द्वारा हत्या के 14 आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी सदन को देने के बावजूद हंगामा इतना बढ़ा सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
दरअसल माजरा कुछ ऐसा है कि, कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लॉक में बैगा आदिवासी परिवार में पति-पत्नी और बच्चे की जलकर मौत की खबर सामने आई थी। बाद में पुलिस जांच के दौरान यह मामला जमीन विवाद में हत्या का निकला। गुरुवार को ही पुलिस ने हत्या के आरोप में एक नाबालिग समेत 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन अब इस मामले में सियासत शुरू हो गई है।
कांग्रेस विधायकों ने दिखाए आक्रामक तेवर
शुक्रवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा- इस मामले में बहुत से तथ्य हमारे पास हैं। इसलिए इस विषय को पर चर्चा कराई जाए। कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी ने कहा- मौत के बाद मुआवजा देकर लीपा पोती की गई। विधायक देवेंद्र यादव ने कहा- जमीन हड़पने के लिए उनकी हत्या की गई, 4-4 लाख रुपये मुआवजा देकर मामले को दबाने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं कई कांग्रेस विधायकों ने स्थानीय विधायक की मिलीभगत का आरोप भी लगाया। तब भाजपा विधायक भावना बोहरा ने आपत्ति जताई। इसके बाद कांग्रेस विधाचयकों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। विपक्ष के विधायकों ने आदिवासियों पर अत्याचार के आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। जिसके बाद सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
व्यक्तिगत आरोपों पर भावना ने जताई आपत्ति
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही पंडरिया से भाजपा विधायक भावना बोहरा ने मिलीभगत के आरोपों पर तीखे शब्दों में आपत्ति जताई। इससे बाद एक बार फिर से सदन में शोरगुल होने लगा। कांग्रेस विधायक हर्षिता स्वामी बघेल ने पंडरिया विधायक पर आरोपियों के संरक्षण का आरोप लगाया। तब सत्तापक्ष के विधायकों ने व्यक्तिगत आरोप पर आपत्ति जताई। इनकी आपत्ति पर अध्यक्ष ने हर्षिता के आरोप को सदन की कार्यवाही से विलोपित कर दिया, इसके साथ ही विधायक हर्षिता बघेल ने अपना आरोप वापस भी ले लिया।
स्थगन नामंजूर होते ही फिर हंगामा, कार्यवाही स्थगित
वहीं गृहमंत्री की गैरमौजूदगी के चलते स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में पूरी घटना का जिक्र किया। उनहोंने कहा- इस मामले की जांच हो चुकी है। 14 आरोपियों की अरेस्टिंग हुई, जिनमें एक नाबालिग है। नाबालिग को बाल संरक्षण गृह और बाकी को जेल भेजा गया है। इस पर विस अध्यक्ष ने विपक्ष के स्थगन को अस्वीकार किया दिया। इसके साथ ही सदन में विपक्ष के सदस्यों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी विधायक गर्भगृह में जाकर नारेबाजी करना शुरू कर दिया। वे लगातार गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग करते रहे। इसी के साथ गर्भगृह में प्रवेश दकरने वाले सभी विपक्ष के विधायक स्वमेव निलंबित हो गए। निलंबन के बावजूद वे गर्भगृह में नारेबाजी करते रहे। तब स्पीकर ने सदन की कार्यवाही एक बार फिर से पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी।