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25 फरवरी को आचार्यश्री के लिए विनयांजलि सभा आयोजित की गई है। यह आयोजन पूरे देश में एक साथ होगा।

धन्य कुमार जैन -  राजनांदगांव। चंद्रगिरि तीर्थ में अकल्पनीय वज्रपात होने के बाद गुरुवार को ब्रम्हलीन आचार्य विद्यासागर जी महाराज के प्रथम शिष्य और गृहस्थ जीवन के भाई मुनिश्री समय सागर महाराज पहुंचे। आचार्य श्री मंशा के मुताबिक समय सागर महाराज संघ के नए आचार्य होंगे। जिसकी अभी अधिकृत घोषणा होना शेष है।

उल्लेखनीय है कि 30 जनवरी को महाराष्ट्र के शिरपुर में चातुर्मास करने के बाद आचार्य श्री करीब 466 किमी की दूरी तय कर चंद्रगिरि तीर्थ पहुंचे थे। करीब 13 महीने के प्रवास के दौरान अमरकंटक और तिल्दा नेवरा में होने में जिन बिम्ब पंचकल्याणक के लिए विहार किया था। दिसंबर माह में वह तिल्दा नेवरा से वापस चंद्रगिरि आए थे, तब से उनके स्वास्थ्य में गिरावट देखी जा रही थी। स्वास्थ्य के लगातार खराब होने के बाद गत 6 फरवरी को ही विद्यासागर जी ने समय सागर जी को उत्तराधिकारी बनाकर आचार्य पद का त्याग कर दिया था। गत 17 फरवरी की मध्य रात्रि को आचार्यश्री ब्रम्हलीन हो गए।

आचार्यश्री के पहले शिष्य 

क्षुल्लक दीक्षा के 5 साल बाद समय सागर जी ने 8 मार्च 1980 को सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी में मुनि दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा गुरु उनके गृहस्थ जीवन के बड़े भाई आचार्य विद्यासागर ही थे। समय सागर जी ही विद्यासागर जी के पहले शिष्य बने। मुनि दीक्षा के बाद तपस्या के कठोर नियमों को उन्होंने अपना लिया।

शरद पूर्णिमा को ही जन्म

समय सागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव में 27 अक्टूबर 1958 को हुआ था। जन्म के समय उनका नाम शांतिनाथ था। छह भाई-बहनों में वह सबसे छोटे हैं। अजीब संयोग ही है कि आचार्य विद्यासागर महाराज और मुनिश्री समय सागर महाराज का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। धार्मिक माहौल के बीच हायर सेकंडरी तक पढ़ाई करने के बाद शांतिनाथ का 17 साल की उम्र में उनका मन भी बड़े भाई की तरह संयास की तरफ गया और उन्होंने 2 मई 1975 को ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया। इसी साल उन्होंने दिसंबर में सोनागिरी तीर्थ क्षेत्र में क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण किया। उन्होंने ऐलक दीक्षा 31 अक्टूबर 1978 को ली।
 

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