रायपुर। जैव विविधता से भरे कोरबा जिले के जंगल की अब सांप भी पहचान बनेंगे। पूरे मध्य भारत में सिर्फ कोरबा के जंगल में दुर्लभ सांपों का राजा किंग कोबरा पाया जाता है। इसे स्थानीय ग्रामीण पहरचित्ती के नाम से भी पुकारते हैं और इसे देवतुल्य भी मानते हैं। ग्रामीणों को जैसे ही पता चलता है कि इन सांपों के संरक्षण पर कोई खतरा मंडरा रहा है तो ग्रामीण स्वयं मोर्चा संभाल लेते हैं। कई बार कुछ तस्करों को जमकर सबक भी सिखाया है। अब वन विभाग सांपों के राजा के कुनबे को बढ़ाने और संवर्धन पर रिसर्च कर रहा है ताकि इनका संरक्षण हो सके। यदि इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किया गया तो कोरबा देश के मानचित्र में स्नैक पार्क के रुप में जगह बना सकेगा।
कोरबा का जंगल साल-सागौन और विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों से भरा पूरा जंगल है। बड़े पैमाने पर जंगल। होने की वजह से यहां दर्जनों विलुप्त प्रजाति के वन्य प्राणियों की मौजूदगी भी है। इस जंगल की खासियत यह है कि यहां के घने जंगल में 15 फीट लंबा किंग कोबरा (स्थानीय नाम पहरचित्ती) नामक सांप पाया जाता है, जो पूरे मध्य भारत में सिर्फ कोरबा के जंगल में ही मिलता है। जंगल में बेहतर रहवास मिलने की वजह से इनकी मौजूदगी है।
एक साल तक होगा सर्वे
फिलहाल कोरबा वनमंडल के पसरखेत, लेमरु, बालको, कुदमुरा रेंज में उनकी मौजूदगी है। अक्सर 15 से 16 फीट का यह किंग कोबरा ग्रामीणों के घर और बाड़ियों में भी दिखाई देते रहता है। ग्रामीण मानते हैं, उसके रहने से उनके धन-धान्य में वृद्धि होती है। एक ओर जहां वन विभाग इनके संरक्षण का प्रयास कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण भी इसके संरक्षण के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं। कई बार ऐसा नजारा देखने को भी मिला है, जब तस्करी के लिए इन सांपों को पकड़ने आए तस्करों को पकड़ कर ग्रामीणों ने सबक भी सिखाया है।
कुनबे को बढ़ाने किया जा रहा रिसर्च
कोरबा वनमंडलाधिकारी अरविंद पीएम व एसडीओ आशीष खेलवार ने इस सांप के संरक्षण का बीड़ा अपने हाथों में ले रखा है। वन विभाग द्वारा इसके कुनबे को बढ़ाने रिसर्च कराया जा रहा है। रायपुर की नोवा नेचर नामक संस्था किंग कोबरा के स्वभाव, उसके रहवास पर रिसर्च कर रही है। आने वाले दिनों में यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो किंग कोबरा को लेकर कोरबा के जंगल में स्नैक पार्क भी तैयार हो सकता है और इसे देखने के लिए छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के नहीं बल्कि देश के और भी विभिन्न राज्यों से लोग यहां पहुंचेंगे।
राजकीय नाग का मिले दर्जा
नोवा नेचर संस्था के अध्यक्ष एम सूरज ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्य भारत की बात करें तो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में ही इस प्रजाति का किंग कोबरा पाया जाता है। कोरब के जंगल में जो किंग कोबरा पाया जाता है, उसकी लंबाई 14 से 15 फीट है। रिसर्च के दौरान कोरबा वनमंडल के कुछ परिक्षेत्र में किंग कोबरा पाए गए है। यदि राज्य सरकार पहल करे तो इसे राजकीय नाग का दर्जा मिल सकता है। इसके संवर्धन में और बेहतर पहल हो सकती है। छत्तीसगढ़ के कोरबा में पाया जाने वाले इस सांप की खासियत यह है कि यह विश्व में सबसे लंबा विषैला सांप है। यह ऐसा सांप है, जो घोंसला बनाकर रहता है। कोरबा वनमंडल का यह परिक्षेत्र इस सांप के रहने के लिए प्राकृतिक रुप से पूरे प्रदेश में सबसे है।
किंग कोबरा एक नजर में
सामान्य नाम |
किंग कोबरा |
स्थानीय नाम | पहरचित्ती |
वैज्ञानिक नाम | ओफियाफैगस हन्ना |
प्रकार | सरीसृप |
आहार | मांसाहारी |
समूह का नाम | क्विवर |
जीवनकाल | 20 साल |
लंबाई | 15 फीट |
वजन | 10 से 12 किलो |
अब तक किसी को भी नहीं बनाया है शिकार
कोरबा के जंगल में पाए जाने वाले किंग कोबरा की लंबाई 15 फीट तक पाई गई है। विश्व में इसकी अधिकतम लंबाई 18 से 20 फीट होती है। किंग कोबरा दुनिया के सबसे खतरनाक सांपों में से एक है। कोरबा वनमंडल के विभिन्न परिक्षेत्र में किए गए रिसर्च के मुताबिक किंग कोबरा ने अभी तक किसी भी ग्रामीण को डसा नहीं है।
रिसर्च हो चुका है शुरु
किग कोबरा की प्रारंभिक रिसर्च के दौरान जो बात सामने आई है उसके मुताबिक कोरबा का जंगल किंग कोबरा के लिए अनुकूल है लेकिन इसे और अनुकूल कैसे बनाया जा सकता है। इस सांप को क्या-क्या खूबी है, इस विषय पर रिसर्च किया जा रहा है। एक महीने के रिसर्च के दौरान आधा दर्जन से अधिक किंग कोबरा अलग-अलग प्रकार के पाए गए है, जो दर्शाता है कि इनके कुनबे को बेहतर रहवास कोरब के जंगल में मिल रहा है। - एम सूरज, अध्यक्ष, नोवा नेचर