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विष्णुदेव साय की सरकार के कालखंड में नक्सली मोर्चे पर सुरक्षा बलों की निर्णायक बढ़त और नई औद्योगिक नीति के ऐलान साथ नया रायपुर में गत दिवस सेमी कंडक्टर निर्माण के लिए फैक्टरी का भूमि पूजन आने वाली पीढ़ी के सुखद भविष्य की उम्मीद जगा गया है।

विशेष टिप्पणी / डॉ.हिमांशु द्विवेदी।

जीवन में सपने तो सभी देखते हैं, लेकिन उनके साकार होने का सुख बिरलों को ही हासिल होता है। छत्तीसगढ़ की मौजूदा पीढ़ी उन भाग्यशाली लोगों की जमात में शामिल होने की ओर अग्रसर है जिन्होंने सुखी और समृद्ध राज्य का सपना अर्से से देखा हुआ था। चार दशक से अधिक समय से नक्सली आतंक का नासूर और जमीन में गड़ी संपदा के बेतहाशा दोहन की चीत्कार ही तो छत्तीसगढ़ की पहचान गठन के समय से बनी हुई थी।लेकिन, अब समय  करवट बदल रहा है। विष्णुदेव साय की सरकार के कालखंड में नक्सली मोर्चे पर सुरक्षा बलों की निर्णायक बढ़त और नई औद्योगिक नीति के ऐलान साथ नया रायपुर में गत दिवस सेमी कंडक्टर निर्माण के लिए फैक्टरी का भूमि पूजन आने वाली पीढ़ी के सुखद भविष्य की उम्मीद जगा गया है समृद्ध धरती-गरीब लोग राज्य के लिए गर्व का विषय हरगिज नहीं हो सकता। अपने घर में ही चहल कदमी करने में दहशत और गुजारे के लिए जेवरातों को बेचने के लिए मजबूर रहें तो वह जीवन नारकीय ही कहा जाएगा।

अर्से से छत्तीसगढ़ का बड़े भूभाग खासतौर पर बस्तर में हालात ऐसे रहे कि खाकी वर्दी में घूमने से ज्यादा सुरक्षित सामान्य कपड़ों में रहना लगता था। उसी बस्तर से अब हिंसा के दूत नक्सली शांति की पुकार लगाने आगे आ रहे हैं। साथ ही परंपरागत उद्योगों को छोड़कर नए क्षेत्र में निवेश के प्रस्ताव जमीनी स्तर पर उतर रहे हैं। महज सवा साल के कालखंड में यह बदलाव साय सरकार की  श्रेष्ठतम उपलब्धि है। आखिर  कैसे? नक्सल मोर्चे पर सफलता क्या सुरक्षाबलों के समन्वय और संख्या बढ़ाने भर से हो गया है? हरगिज नहीं। डॉ. रमन सिंह के शासनकाल से ही नक्सल मोर्चे पर केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्वय रहा। सुरक्षाबलों की संख्या से भी कोई बड़ा इजाफा इस सवा साल में नहीं हुआ फिर भी अगर अभूतपूर्व सफलता मिल रही है तो इसके मूल में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की दूरदर्शिता अर्थात मोदी-शाह का फैसला है। 

विधानसभा चुनाव में चमत्कारिक जीत के बाद मुख्यमंत्री के तौर पर वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय के चयन ने नक्सलियों को नैतिक रूप से कमजोर कर दिया। नक्सलियों ने बुलेट के बूते अपनी सत्ता लाने का जो सपना भोले-भाले आदिवासियों को दिखाया था, वह बैलेट के बूते भाजपा ने साकार कर दिया। इस सवा साल में मोदी की गारंटी से लेकर नियद नेल्लानार जैसी योजनाओं के माध्यम से विष्णुदेव साय समाज के अन्य वर्गों के साथ-साथ आदिवासी वर्ग में यह विश्वास जगाने में सफल रहे कि उनका राज आ चुका है। विधानसभा के बाद लगातार तीन चुनावों में जीत इसका ही तो प्रमाणीकरण है। इसका नतीजा यह है कि नक्सली बंदूकों को स्थानीय स्तर पर मिलने वाला समर्थन खत्म हो गया है। लिहाजा मोदी सरकार के संकल्प को लेकर हुंकार भर रहे अमित शाह के दावों के अनुरूप नक्सली मोर्चे पर साय सरकार सफलता हासिल करती दिख रही है।

इन पंक्तियों के लिखे जाने के दौरान भी बीजापुर में तमाम नक्सलियों के मारे जाने की खबर आ रही है। इतना ही हैरतपूर्ण है छत्तीसगढ़ में देश की इकलौती सेमी कंडक्टर निर्माता कंपनी का महज चार माह में संयंत्र की स्थापना के लिए छत्तीसगढ़ आ जाना। जिस कारखाने की स्थापना के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक जैसे विकसित राज्य अर्से से प्रयत्नशील हैं, वहां छत्तीसगढ़ का सफल हो जाना हम सबको हर्षित करता है और विष्णुदेव साय को सरल और सहज राजनीतिज्ञ के साथ कुशल और दूरदर्शी प्रशासक के रूप में भी स्थापित करता है। लोहा, सीमेंट, बाक्साइट के कारखानों से इतर इस शुरूआत ने भविष्य को लेकर किस कदर उम्मीद जगा दी है कि भूमि पूजन समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दावा कर दिया कि आने वाले समय में नवा रायपुर भारत की सिलिकान वैली बनेगा। सरकार के मुखिया ने दावा किया है तो निश्चित ही इसके पीछे उनका अपनी टीम पर भरोसा है। अब जिम्मेदारी टीम की है कि वह इस भरोसे पर खरा उतरे। इस टीम में मंत्रिमंडल के सहयोगी भी हैं और मुख्यमंत्री सचिवालय समेत तमाम प्रशासनिक अमला भी। देखें इस दावे और हम सभी के सपने को वह कब तक साकार करते हैं। 

देश में खैरात बांटकर राज में आने या बने रहने की होड़ के दौरान यह सरकार महज महतारी वंदन के चंदन और बोनस वितरण के भरोसे ही नहीं बैठी हुई है। यह अहसास भविष्य को लेकर आशा बनाए रखता है। बेहतर शैक्षणिक और स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षित वातावरण और रोजगार सृजन के नए अवसर ही विकसित छत्तीसगढ़ के सपने को साकार करने का मूलमंत्र हैं। जब सवा साल की उम्र पूरी कर लेने के बाद सरकार सुशासन तिहार मनाने के लिए जनता के बीच जाने निकल ही पड़ी तो इस कालखंड की पड़ताल जरूरी हो जाती है। तमाम बेहतर कोशिशों के बीच कुछ घटनाक्रम आशंका भी पैदा करते हैं। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर पूर्ववर्ती सरकार को घेरती रही भारतीय जनता पार्टी अगर यह मुगालता पाले हुए है कि महज विष्णुदेव साय के ईमानदार बने रहने से बाकी जो कुछ चल रहा है उस पर जनता की निगाह नहीं जा रही है तो यह बड़ी भूल ही साबित होगी।

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