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बालोद जिले सहित कई क्षेत्रों में इस भीषण गर्मी में आसमान से आग बरस रही है। गर्मी में मानव हो या फिर पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है। लोगों के लिए तो जगह-जगह प्याऊ और नल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था मिल ही जाती है। 

बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले सहित कई क्षेत्रों में इस भीषण गर्मी में आसमान से आग बरस रही है। गर्मी में मानव हो या फिर पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है। लोगों के लिए तो जगह-जगह प्याऊ और नल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था मिल ही जाती है। लेकिन पक्षियों को पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में लोगों की जिम्मेदारी है कि, वे पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था कर अपने जिम्मेदारी का निर्वाहन करें। ताकि खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पंछियों को राहत मिल सके।

पशु-पक्षी संरक्षण को लेकर चला रहे जागरूकता अभियान 

हांथ में दिए लिए हुए महिलाएं
हांथ में दिए लिए हुए महिलाएं

बालोद जिले के बालोद, दल्लीराजहरा, गुरुर शहर की जागरूक महिलाओं ने बेजुबान पशु पक्षियों के दाना पानी को सकोरे के माध्यम से उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। भीषण गर्मियों को देखते हुए पक्षियों के संरक्षण के लिए कदम उठाया है। शहर की अभिप्रेरणा ग्रुप ने थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर मिट्टियों से सकोरे बनाकर बांट रहे हैं। साथ ही लोगों की पशु-पक्षी संरक्षण को लेकर जागरूक भी कर रहे हैं। भीषण गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। वहीं दाने-पानी के अभाव में पशु-पक्षी मरने लगे हैं। इनकी संरक्षण के लिए महिलाएं आगे आई हैं। अभिप्रेरणा गुप की कादम्बिनी यादव, गायत्री साहू, तुलसी डोंगरे, नीलम रावटे, राजेश्वरी तिवारी, विनोदिनी यादव, अर्चना ताम्रकार समेत कई लोग इस मुहिम में सक्रिय सहभगिता दे रहे हैं। सभी से इस मुहिम में लोगों को जुड़ने की अपील की गई है।

पक्षियों के रहने के लिए खत्म हो रहे पेड़ 

अभिप्रेरणा समूह की सदस्य कादम्बनी यादव ने कहा कि, शहरीकरण के कारण आज गोरैया और अन्य पक्षियों के साथ ही अलग-अलग प्रजाति के के पेड़-पौधे भी विलुप्त होते जा रहे हैं। यह बड़ा चिंता का विषय है। मार्च और अप्रैल का महीना पक्षियों के परिवार को बढ़ाने का महीना होता है। तो ऐसे में हमें इनके संरक्षण पर जोर देना होगा।

बेजुबान पशु-पक्षियों के सामने दाना-पानी की समस्या

दिनों-दिन बढ़ती गर्मी के चलते आज बेजुबान पशु-पक्षियों के सामने दाना-पानी की समस्या आ गई है। कादम्बनी यादव ने कहा कि पानी अनमोल हैं, इसके बिना जीवन संभव नहीं है। हम इंसान को भूख और प्यास की तड़प व्याकुल कर देती है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेजुबान पशु-पक्षियों की क्या हालत होती होगी।

शुरुआत में देते हैं दाना-पानी

अभिप्रेरणा ग्रुप साल में एक से दो ऐसे ही अलग-अलग मुहिम चलाते आ रहे हैं। इन महिलाओं द्वारा शुरुआत में लोगों को मिट्टियों से सकोरे में दाना भी डालकर दिया जाता है। सभी को बताया जा रहा है कि नियमित रूप से पक्षियों के लिए अपने व्यवस्था हिसाब से पेड़ों में छतों में दाना-पानी की व्यवस्था करें। ताकि पक्षियों के जीवन बचाने में हम सहभागी बन सके. भीषम गर्मी में बेजुबान पशु पक्षियों को सकोरे के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने की अपील महिलाओं ने किया है।

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