बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सोमवार को डाइट बेमेतरा में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
घरेलू हिंसा को परिभाषित करते हुए व्योम श्रीवास्तव, जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने कहा कि, महिला के जीवन, स्वास्थ्य, सुरक्षा और कुशलता को नुकसान पहुंचाना या खतरे में डालना इसमें सम्मिलित है। उन्होने बताया महिला या उससे संबंधित किसी व्यक्ति को दहेज या अन्य मांग पूर्ति के लिए दबाव डालने की मंशा से तंग करना, नुकसान पहुंचाना, शारीरिक दुर्व्यवहार करना, अपराधिक धमकी देना, मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार, अपमान करना, हंसी उड़ाना, गाली देना और आर्थिक दुर्व्यवहार शामिल है। जैसे महिला को उसके और उसके बच्चे के पालन-पोषण के लिए पैसे न देना, इन सभी तरह की हिंसा से यह अधिनियम महिलाओं को संरक्षण प्रदान करता है।
शिकायत और कानूनी अधिकार की दी जानकारी
इस अधिनियम के तहत कोई भी महिला जिसके साथ घरेलू हिंसा हो रही हो या उसकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है। किसी भी बच्चे के घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत राहत का पात्र होने पर उसकी मां आवेदन कर सकती है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार छत्तीसगढ़ के प्रत्येक विकासखंड में पदस्थ बाल विकास परियोजना अधिकारियों को संरक्षण अधिकारी घोषित किया गया है। इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास के जिला अधिकारी भी संरक्षण अधिकारी घोषित किए गए हैं। घरेलू हिंसा के मामलों में मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता को शिकायत की जा सकती है।
कार्यशाला में इनकी रही मौजूदगी
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से व्योम श्रीवास्तव, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, यशोदा साहू, जिला संरक्षण अधिकारी ,महिला एवं बाल विकास विभाग, राजेंद्र चंद्रवंशी, परियोजना समन्वयक, सखी वन स्टॉप सेंटर की मोना सिंह और महिला एवं बाल विकास की परामर्शदाता समृद्धि शर्मा उपस्थित रहीं। इनके अलावा डाइट बेमेतरा की वरिष्ठ व्याख्याता उषा किरण पांडेय, जी एल खुटियारे, डॉ बसुबंधु दीवान, थलज कुमार साहू, राजकुमार वर्मा, श्रद्धा तिवारी, कीर्ति घृतलहरे सहित डीएलएड द्वितीय वर्ष के सभी छात्र अध्यापक उपस्थित थे।