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AAP Office Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट की जमीन पर बने आम आदमी पार्टी के कार्यालय पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है और दिल्ली सरकार से जमीन वापस करने की बात कही है।

AAP Office Delhi High Court: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट की जमीन पर आम आदमी पार्टी का कार्यालय बना हुआ है। यह जमीन हाई कोर्ट के लिए आवंटित की गई थी। अब इस मामले में दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए AAP पर नाराजगी जताई है औ सवाल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट की जमीन पर पार्टी अपना दफ्तर कैसे बना सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने AAP से दिल्ली हाई कोर्ट को उनकी जमीन वापस करने के लिए कहा है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

'कब्जा लेने गए अधिकारियों को लौटाया'

दिल्ली हाईकोर्ट की जमीन पर AAP का अतिक्रमण, सुप्रीम कोर्ट ने खाली कराने का दिया आदेशमामले की सुनवाई करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। कोई राजनीतिक दल कोर्ट की जमीन पर कैसे बैठ सकता है? सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट उस जमीन का इस्तेमाल जनता और नागरिकों के भलाई के लिए करेगा। बता दें कि देशभर के कोर्ट के बुनियादी ढांचे के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान वकील के परमेश्वर ने पीठ को बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट के अधिकारी जो जमीन पर कब्जा लेने गए थे उन्हें अधिकारियों ने रोक दिया था। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग के सचिव और राष्ट्रीय राजधानी की सरकार के वित्त सचिव को इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाने को कहा।

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CJI ने पूछा ये सवाल  

वहीं, दिल्ली सरकार के कानून सचिव भरत पराशर ने सुप्रीम कोर्ट से बताया कि आम आदमी पार्टी के पास ये जमीन 2016 से है। उन्होंने कहा कि यह एक बंगला था। जिस पर एक मंत्री ने कब्जा कर लिया था और बाद में एक राजनीतिक पार्टी ने अपना ऑफिस बना लिया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील से कोर्ट ने यह बताने के लिए निर्देश दिए हैं कि आखिर हाई कोर्ट को जमीन कैसे वापस किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनावई अब 19 फरवरी को तय की है। 

बता दें कि सीजेआई का यह निर्देश उस वक्त सामने आया, जब मामले में शीर्ष अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र के रूप में नियुक्त अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि एक राजनीतिक दल ने भूमि के एक टुकड़े पर अपना कार्यालय स्थापित किया है।

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