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अरविंद केजरीवाल का 'पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना' की घोषणा ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये का मासिक मानदेय देने का प्रावधान किया गया है। वहीं, दूसरी ओर, वक्फ बोर्ड की मस्जिदों में कार्यरत इमाम और मौलाना 17 महीने से वेतन न मिलने के कारण प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

Kejriwal launch Pujari Granthi Samman Yojana: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पुर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी चुनाव से पहले एक नई योजना की घोषणा कर राजनीति को नया मोड़ दिया है। इस योजना का नाम 'पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना' रखा गया है। इसके तहत दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथि को हर महीने 18,000 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर, वक्फ बोर्ड की मस्जिदों में कार्यरत इमाम और मौलाना 17 महीने से वेतन न मिलने के कारण प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।  

आज, 'पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना' की घोषणा करते हुए केजरीवाल ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी सरकार ने पुजारियों और ग्रंथियों के लिए इस तरह की आर्थिक सहायता योजना शुरू की है। पुजारी एक ऐसा वर्ग है, जिसने अपनी पीढ़ियों से हमारी धार्मिक परंपराओं को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कभी अपनी जरूरतों और परिवार की चिंता नहीं की। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनका ख्याल रखें।

इमामों का आरोप: 17 महीने से वेतन नहीं मिला

दिल्ली वक्फ बोर्ड की मस्जिदों के इमामों और मौलानाओं ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि पिछले 17 महीने से उनका वेतन लंबित है। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कई बार सरकार से बातचीत की कोशिश की, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ।  

मौलाना गय्यूर उल हसन कासमी ने कहा कि हमारा वेतन 17 महीने से बकाया है। हम कई बार यहां आ चुके हैं, लेकिन अब तक मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई। हमें फिर दो दिन बाद आने को कहा गया है। अगर वे हमारी समस्या नहीं सुलझाते, तो हम यहीं धरने पर बैठेंगे।

प्रदर्शन के लिए मजबूर इमाम

इमामों ने पिछले एक हफ्ते में तीन बार मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया। मौके पर मौजूद मुफ्ती मोहम्मद इब्राहिम ने कहा कि हम तीन बार आए हैं। हमारी मांग है कि हमें वेतन दिया जाए। हम यहां मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल से मिलने आए हैं, ताकि अपनी समस्याओं को सामने रख सकें।  

मौलाना साजिद राशिदी ने बताया कि जब हम गुरुवार को आए थे, तो हमें शनिवार शाम 5 बजे मिलने का समय दिया गया था। लेकिन शनिवार को भी हमारी मुलाकात नहीं हो सकी। अब यह तीसरी बार है जब हम आए हैं। अगर आज भी मुलाकात नहीं होती, तो हम यहां धरने पर बैठ जाएंगे।

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वक्फ बोर्ड में सीईओ और चेयरमैन का अभाव

इमामों ने वक्फ बोर्ड में प्रशासनिक समस्याओं पर भी चिंता व्यक्त करते हुए मौलाना मुफ्ती मेराजुल कासमी ने कहा कि 17 महीने से वेतन लंबित है। अब 18 महीने बीत जाएंगे और उसके बाद चुनावी अधिसूचना जारी हो जाएगी। उस स्थिति में कुछ नहीं हो पाएगा। समस्या यह है कि वक्फ बोर्ड में कोई चेयरमैन या सीईओ नहीं है। सीईओ की अनुपस्थिति में फंड जारी होने के बाद भी काम ठप रहेगा क्योंकि हस्ताक्षर के बिना कोई कार्यवाही संभव नहीं है।

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