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राजनीतिक जानकारों की मानें तो वर्तमान में आम आदमी पार्टी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में केजरीवाल के इस्तीफ की घोषणा रणनीति का अहम हिस्सा हो सकता है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद आज जंतर मंतर पर रैली की। इस दौरान उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि दो दिन के भीतर सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। खास बात है कि उन्होंने किसी अन्य भी नेता का नाम सीएम पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया। केजरीवाल ने कहा कि आप का कोई भी नेता दिल्ली का सीएम नहीं बनेगा। मांग है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव नवंबर तक करा दिए जाएं। उनके इस बयान से सियासी चर्चा शुरू हो चुकी है कि क्या अरविंद केजरीवाल का दिल्ली की राजनीति से मोहभंग हो चुका है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो वर्तमान में आम आदमी पार्टी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। यह चुनाव 5 अक्टूबर को होगा, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिला है, लेकिन विधानसभा चुनाव की स्थितियां अलग होती हैं। चुनावी मैदान में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इनेलो, जेजेपी, बीएसपी समेत निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पहले ही मिल चुका है। ऐसे में हर राष्ट्रीय पार्टी चाहती है कि चुनाव में वोट शेयर और सीटों की संख्या बढ़ती रहे। लेकिन, हरियाणा की बात करें तो आम आदमी पार्टी ने ऐसा कुछ भी खास नहीं किया, जिससे सत्ता पक्ष को टक्कर दे सके।

यही वजह रही कि आखिरी वक्त तक आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन की बाट जोहती रही, लेकिन बात में देरी के चलते सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए। अब अरविंद केजरीवाल जमानत से बाहर आ चुके हैं और चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ 20 दिन ही शेष बचे हैं। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की ओर से इस्तीफे का ऐलान हरियाणा में आम आदमी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

दरअसल, हरियाणा सीएम पद को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में फूट देखी गई है। बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत ने हाल में कहा था कि हरियाणा का सीएम अहीरवाल क्षेत्र से होना चाहिए। आज ही भाजपा नेता अनिल विज ने भी सीएम पद के लिए दावेदारी ठोंकी है। उधर, कांग्रेस में भी सीएम पद को लेकर खींचतान है। कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की जगह खुद को भी सीएम बनने की इच्छा जताई थी।

जेजेपी और इनेलो जीतती है, तो भी सीएम पद किसी मिलेगा, यह भी लोग आसानी से समझ सकते हैं। माना जा रहा है कि हरियाणा सीएम पद को लेकर जारी खींचतान के बीच आम आदमी पार्टी ने भी पत्ता खेला है। सीएम केजरीवाल के दिल्ली सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद लोग मानेंगे कि हरियाणा में अगर आम आदमी पार्टी जीतती है, तो निश्चित ही अरविंद केजरीवाल सीएम बनेंगे। 

इसका आम आदमी पार्टी को दोहरा फायदा होगा। पहला यह कि अरविंद केजरीवाल को अलग राज्य मिल जाएगा, जहां हर फैसले के लिए एलजी के आदेशों का इंतजार नहीं करना होगा। साथ ही, यह भी साबित कर सकते हैं कि हरियाणा में अपनी नीतियों को साकार कर विकास के पथ पर ले जा सकते हैं। साथ ही, दूसरा फायदा यह भी होगा कि दिल्ली चुनाव के वक्त अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं। ऐसे में यह कहना कि अरविंद केजरीवाल का दिल्ली की सत्ता से मोहभंग हो चुका है, पूरी तरह से ठीक नहीं कहा जा सकता। 

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