Beer Selling in Delhi: दिल्ली में इस साल गर्मी की गर्मी ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। ऐसे में देशभर में कोल्ड ड्रिंक्स के साथ बीयर की बिक्री भी बढ़ जाती है। आमतौर पर गर्मी के मौसम हर साल रिकॉर्डतोड़ बिक्री देखने को मिलती है। पिछले साल की तरह इस साल भी दिल्ली के लोगों ने गर्मी से लड़ने के लिए बीयर का सहारा लिया। खास बात है कि शुरुआत में बीयर की बिक्री पिछले साल के मुकाबले कम थी, लेकिन तापमान बढ़ने के साथ बीयर की बिक्री में भी उछाल देखा गया।
पिछले साल के मुकाबले कम बिकी बीयर
आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल 2024 तक लगभग 660 शराब की दुकानों पर और 950 से अधिक होटलों, बार और रेस्तरां के माध्यम से 224 लाख लीटर बीयर बिकी। वहीं, पिछले साल यानी 2023 की बात करें तो इसी अवधि में 228 लाख लीटर और 2022 में 369 लाख लीटर बिकी थी। हालांकि, 2022 में इसी अवधि की बात करें तो नई आबकारी नीति लागू थी, जिससे बिक्री में भारी उछाल देखने को मिला था। शराब कारोबारियों की मानें तो मई की शुरुआत के साथ ही बीयर की मांग भी बढ़ने लगी। अभी तक इस बिक्री के आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन जिस तरह से तापमान 50 डिग्री के पार चल गया था और अभी भी भीषण गर्मी पड़ रही है, लिहाजा इस बार पिछले साल के तमाम रिकॉर्ड टूटने की संभावना है।
जानें अप्रैल तक बीयर की बिक्री क्यों हुई कम
बता दें कि गर्मियों में दुकानों पर बिकने वाली कुल शराब में से एक तिहाई से अधिक बीयर होती है। बिजनेस के जानकारों की मानें तो दिल्ली में लगभग छह महीने तक तेज गर्मी को देखते हुए बिक्री की क्षमता कहीं अधिक थी, लेकिन लोकप्रिय ब्रांडों की उपलब्धता कम होने के कारण एनसीआर में रहने वाले लोग शराब खरीदने के लिए राज्य की सीमा पार की दुकानों से बियर खरीदना पसंद करते हैं। जिस कारण दिल्ली के पड़ोसी शहरों में बीयर के अलावा शराब की बिक्री में सालाना 15-20% की वृद्धि देखने को मिलती है, वहीं दिल्ली में आंकड़ा कम हो जाता है।
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एनसीआर में ज्याद बिकती है बीयर
ब्रुअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक विनोद गिरी का कहना है कि राजधानी में भीषण गर्मी के कारण बीयर की मांग बढ़ गई है, लेकिन आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं बढ़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप बिक्री 2023 के स्तर से नीचे आ गई है। इसके पीछे का कारण मन पसंद बीयर ब्रांड, बाजार में उपलब्ध नहीं होने के चलते अन्य आपूर्तिकर्ताओं के लिए उस कंपनी से आपूर्ति की अनुपस्थिति की भरपाई करना मुश्किल था। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में कंपनियों को निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य बहुत कम हैं, जिसके कारण अधिकांश ब्रांडों के लिए नकारात्मक मार्जिन होता है।