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दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि आज जब अरविंद केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार एवं कुशासन के 9 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो इस सरकार के 9 प्रमुख घोटाले इसकी पहचान बन गए हैं।

Delhi: दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आज शनिवार को आम आदमी पार्टी के 9 साल के 9 प्रमुख घोटाले गिनाए। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली में उथल-पुथल से भरे हुए पिछले 9 वर्षों में हमने पारदर्शिता की क्रांति नहीं देखी है, बल्कि घोटालों की एक श्रृंखला देखी है, जिसने विश्वास को खत्म कर दिया है और स्वच्छ शासन के भ्रम को तोड़ दिया है।

उन्होंने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि आज जब अरविंद केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार एवं कुशासन के 9 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो इस सरकार के 9 प्रमुख घोटाले इसकी पहचान बन गए हैं। सचदेवा ने कहा है कि आज मैं दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के शासन की अंधेरी बुनियाद पर प्रकाश डालने के लिए मजबूर हूं। सचदेवा ने कहा कि वित्तीय कुप्रबंधन से लेकर भाई-भतीजावाद तक, आप का कार्यकाल नौ घातक घोटालों से प्रभावित रहा है, जिसमें कोई जवाबदेही नहीं है। यह बयानबाजी के पीछे की वास्तविकता का सामना करने और उन लोगों से जवाब मांगने का समय है, जिन्होंने उन नागरिकों की सेवा करने में विफल रहे हैं, जिनकी उन्होंने सेवा करने का वादा किया था।

सचदेवा ने गिनाए ये 9 प्रमुख घोटाले

सचदेवा ने प्रमुख घोटाले गिनाते हुए कहा कि पहला घोटाला, घटिया क्वालिटी की दवाइयां और नकली लैब टेस्टिंग। दूसरा घोटाला, दिल्ली जल बोर्ड परियोजनाओं में अधिक कीमत वाले ठेके। तीसरा घोटाला, केजरीवाल के आवास का अत्यधिक महंगा पुनर्निर्माण। चौथा घोटाला, आम आदमी पार्टी का दिल्ली वक्फ बोर्ड भर्ती घोटाला। पांचवा घोटाला, पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन का आय से अधिक संपत्ति घोटाला। छटा घोटाला, पैनिक बटन घोटाला - केजरीवाल सरकार वह सरकार है जिसने महिला एवं बाल सुरक्षा उपकरण पैनिक बटन की आड़ में भी घोटाला किया है। सातवां घोटाला, दिल्ली स्कूल कक्षा निर्माण घोटाला। आठवां घोटाला, उत्पाद शुल्क नीति घोटाला और नौवां घोटाला, डीटीसी बस खरीद घोटाला है।

'सीबीआई को अधिकृत करना मामले की गंभीरता को दर्शाता है'

प्रदेश अध्यक्ष सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा इन आरोपों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को अधिकृत करने का निर्णय मामले की गंभीरता को दर्शाता है। विशेष रूप से, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) बसों के लिए निविदा और खरीद समिति के अध्यक्ष के रूप में दिल्ली परिवहन मंत्री की नियुक्ति में अनियमितताओं के आरोप बेहद परेशान करने वाले हैं। इस तरह की कार्रवाइयां न केवल खरीद प्रक्रिया की अखंडता को कमजोर करती हैं, बल्कि शासन में जनता के विश्वास को भी कमजोर करती हैं।

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