Waqf Board: बीते दिन लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश हो गया और अब राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा हो रही है। इसी बीच भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने खुद को वक्फ बोर्ड पीड़ित बताया। इसके बाद से ही पोचनपुर गांव के साथ ही श्मशान घाट भी चर्चा में है। दरअसल, कमलजीत सहरावत ने कहा कि द्वारका के अम्बरहाई गांव में उनका खुद का घर है। घर से लगभग से 200 मीटर दूर मंदिर पर वक्फ बोर्ड के लोगों ने वक्फ की जमीन होने का दावा किया।
1508 से पूजा करते हैं हिंदू
उन्होंने बताया कि अम्बरहाई गांव में उनके घर के पास एक शिव मंदिर है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि ये मंदिर 1508 से यहां बना हुआ है। 36 बिरादरी के लोग लगभग 500 सालों से इस मंदिर में पूजा करते आए हैं। घर में ये जिंदगी में कोई भी शुरुआत करने से पहले यहां पूजा की जाती है। 2-3 साल पहले अचानक कुछ लोग आए और उन्होंने इस मंदिर की जमीन को वक्फ की जमीन बताया। वे अपने साथ हरे रंग की चादर लेकर आए और वहां नमाज अदा करने लगे। इस बार ईद पर भी लोगों ने वहां नमाज पढ़ी।
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डीडीए की जमीन को बताया वक्फ की जमीन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1987 में डीडीए ने ये जमीन एक्वायर कर ली थी। हालांकि गांव वालों की मिन्नतों के कारण ये मंदिर आज भी अस्तित्व में है। लोग सैकड़ों सालों से यहां पूजा कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी इस जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन बता दिया। कमलजीत सहरावत के गांव अंबरहाई गांव के चर्चा में आते ही इससे सटा हुए पोचनपुर गांव भी चर्चा में आ गया। पोचनपुर गांव जाटों का गांव है, जिसका इतिहास काफी पुराना है। इस गांव के साथ ही श्मशान घाट बना हुआ है, जो DDA के पार्क में आता है।
श्मशान घाट के अंदर नमाज पढ़ने आते हैं लोग
यहां के लोगों का कहना है कि यहां श्मशान घाट के अंदर कुछ लोग आते हैं और नमाज पढ़ते हैं। साथ ही ये दावा भी करते हैं कि ये जमीन वक्फ भोर्ड की है। कहा जाता है कि ये जमीन एक समय में पोचनपुर गांव की होती थी। 987 में यह जमीन DDA ने एक्वायर कर ली और यहां पार्क बना दिया।
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