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दिल्ली इस्कॉन द्वारका मंदिर में राधा अष्टमी के महोत्सव पर नौका विहार का आयोजन किया गया। नौका विहार में नाव को रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों व गुब्बारों से सजाया गया।

Delhi ISKCON Dwarka Temple: दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक इस्कॉन द्वारका में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने के बाद अब इस्कॉन के भक्तों ने उसी उत्साह के साथ राधाष्टमी उत्सव मनाया है। 11 सितंबर को श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर इस्कॉन द्वारका दिल्ली में यह उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया गया।

इस बार उत्सव का विशेष आकर्षण रहा ‘बोट फेस्टिवल’ यानी ‘नौका विहार उत्सव’, जिसमें भगवान कृष्ण और राधारानी के प्रिय तालाब यानी कुंड के साथ-साथ नाव को भी विभिन्न रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों एवं गुब्बारों के साथ खूबसूरती से सजाया गया। खास बात यह है कि नौका विहार उत्सव में देश-विदेश के विभिन्न भागों से लाए गए अनेक किस्मों के 5000 किलो फूलों जैसे— गुलाब, गेंदा, चमेली, गुलमोहर, पेरीविंकल, जरबेरा, कमल, ब्लू ऑर्किड आदि का प्रदर्शन किया गया।

शाम 4 बजे इस्कॉन द्वारका मंदिर के मुख्य विग्रह श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश का भव्य पंडाल में स्वागत किया गया और उन्हें एक सुंदर सजी हुई नौका में विराजमान किया गया। तत्पश्चात उन्होंने मानसी गंगा की लीला को चरितार्थ करते हुए नौका विहार किया। श्रीकृष्ण की ऐसी अनंत लीलाएं हैं, जिन्हें पढ़कर, सुनकर और मंचित कर भक्तगण आनंद का अनुभव करते हैं। यह नौका विहार लीला भगवान को स्वयं अत्यंत प्रिय है क्योंकि यह भगवान और उनके भक्तों के बीच एक अनूठा बंधन विकसित करती है।

श्रीमती राधारानी और गोपियां भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त हैं और इस प्रेममयी लीला को दिव्य दृष्टि से ही समझा जा सकता है। इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद कहते हैं कि यद्यपि राधा और कृष्ण दो रूपों में दिखाई देते हैं लेकिन अनिवार्य रूप से एक ही हैं। जो दिव्य प्रेम के मधुर रस का आस्वादन करने के लिए अलग-अलग रूप धारण करते हैं।

राधाष्टमी के इस शुभ अवसर पर शाम 7.30 बजे भगवान का महाभिषेक और उसके बाद भोग अर्पित किया गया। भोग में 200 किलो के केक के साथ-साथ 1008 व्यंजन शामिल थे, जिसमें बरसाना की श्रीमती राधारानी के पसंदीदा व्यंजन जैसे— मटर की कचौड़ी, चम चम, रस कदम, गुलाब जामुन आदि हैं।

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