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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 31 साल बाद हत्या के आरोपी को कानपुर से अरेस्ट किया है। आरोपी अपनी पहचान छिपाकर कानपुर में रह रहा था।

Delhi Crime News: राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में करीब 31 साल पहले हुई हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। खास बात यह रही कि इस आरोपी को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम कभी बिल्डर बनी तो कभी पुलिस केटरर बनना पड़ा। आखिर में कानपुर से आरोपी को अरेस्ट कर लिया गया।

जानकारी के मुताबिक, नरेला थाना क्षेत्र में 18 सितंबर 1993 को शंभू दयाल नाम के एक शख्स की लाश मिली थी। जांच में पता चला कि 17 सितंबर को बाबू लाल, चुन्नी लाल और प्रेम नारायण शंभू दयाल के घर गए थे। तीनों पर आरोप है कि तीनों ने मिलकर युवक को धमकी दी थी।  आरोपी शंभु की बेटी की शादी अपने गांव में कराना चाहते थे। लेकिन, शंभु ने उनकी बात नहीं मानी। इस बात से नाराज होकर तीनों ने उसके साथ गाली-गलौच की और धमकी दी। शंभू दयाल उस रात घर से बाहर गया था और जिंदा वापस नहीं लौटा। जांच में संदिग्धों के नाम सामने आए तो पता चला कि तीनों फरार हैं। वर्ष 1994 में कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा करार किया था।

आरोपी को पकड़ने के लिए केटरिंग टीम में शामिल हुआ दिल्ली पुलिस का SI

क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट सेल की टीम संगीन मामलों में वॉन्टेड आरोपियों का पता लगाने में लगी हुई थी। इस बीच पुलिस को आरोपी प्रेम नारायण के बारे में सूचना मिली। इसके बाद पुलिस को पता चला कि आरोपी के भतीजे की 11 जुलाई को शादी है। पुलिस को लगा कि आरोपी शादी में जरूर आएगा।   इसलिए दिल्ली पुलिस का एक एसआई समारोह में केटरिंग टीम के सदस्य के रूप में शामिल हो गया। आरोपी की पत्नी और बच्चे तो समारोह में शामिल हुए। मगर वह नहीं आया।

कानपुर से पुलिस ने बिल्डर बनकर आरोपी को पकड़ा 

इसके बाद दिल्ली पुलिस के एसआई को सूचना मिली कि प्रेम कानपुर में रह रहा है और राज मिस्त्री का काम कर रहा है। जिसके चलते एसआई ने इलाके के बिल्डर से मदद ली। उसने बिल्डर बनकर प्रेम को बुलाया। मगर उसने पहले अपने बेटे को भेज दिया। 48 घंटों तक पुलिस ने वहां जाल बिछाकर रखा। आखिर में प्रेम वहां आया और उसे दबोच लिया गया। 

आरोपी ने पहचान छिपाने के लिए बदल लिया था वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड 

पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया है कि वह शंभू दयाल की हत्या करने के बाद अपने पिता और चाचा के साथ अपने गांव से गायब हो गया और कानपुर चला गया। वहां राज मिस्त्री के रूप में काम करने लगा। अपना वोटर आईडी और राशन कार्ड बदल लिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने अपने गांव में सभी संपर्क तोड़ लिया। 

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