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दिल्ली दंगा मामले की साजिश रचने के मुख्य आरोपियों में शामिल मीरान हैदर ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। लेकिन, ऐन वक्त पर उसने अपनी अपील वापस ले ली है। पढ़िये पूरा मामला...

2020 में दिल्ली को दंगों की आग में झुलसाने की साजिश रचने वाले आरोपी मीरान हैदर ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की। उसे भरोसा था कि जांच में देरी होने के कारण उसे जमानत आसानी से मिल जाएगी। लेकिन, इससे पहले ही दिल्ली पुलिस ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को अवगत कराया कि दिल्ली दंगा मामले की जांच पूरी हो चुकी है। अब आरोपों पर बहस शुरू हो सकती है। इसके बाद मीरान हैदर ने स्वयं ही अपनी जमानत अपील को वापस ले लिया। हाईकोर्ट ने भी उसके इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली दंगा मामले की साजिश रचने के आरोपी मीरान हैदर, अतहर खान, आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता ने कड़कड़डूमा कोर्ट में पूरक आरोप पत्र के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी। इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिल्ली दंगा मामले की जांच पूरी हो चुकी है। इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की कोर्ट ने कहा अब जांच पूरी हो चुकी है, तो अभियोजन पक्ष अगली सुनवाई पर आरोपों पर बहस शुरू कर सकता है।

जमानत के लिए बहस में डाल रहे थे अड़चन

दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिल्ली दंगा मामले के आरोपी बहस शुरू होने में जानबूझकर देरी कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को अवगत कराया कि आरोपों पर बहस के लिए पर्याप्त सामग्री और सबूत मौजूद हैं। आरोपियों के खिलाफ नए सबूत मिलने पर आवेदन किया जाता है। इसके खिलाफ आरोपी आवेदन करते हैं ताकि बहस में देरी हो सके।

कोर्ट ने पुलिस की दलील का समर्थन किया

अदालत ने दिल्ली पुलिस की इस दलील का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 173 (2) के तहत आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी पूरक आरोप पत्र दाखिल किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूरक आरोप पत्र केवल नई सामग्री और साक्ष्य के आधार पर ही दायर किया जा सकता है। पहले से एकत्र सबूतों के आधार पर पूरक आरोप पत्र नहीं दाखिल होना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में अभियोजन पक्ष आरोपों पर बहस शुरू कर सकता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपी मीरान हैदर ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली है।

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