DU Convocation: दिल्ली विश्वविद्यालय का इस साल का दीक्षांत समारोह 24 फरवरी को आयोजित की जाएगी। वहीं, भारत के विश्वविद्यालयों में होने वाले दीक्षांत समारोह में एक-दो साल पहले तक गाउन और सिर पर हैट पहनकर डिग्री लेने की परंपरा थी, जिसे अंग्रेजों के जमाने की परंपरा कहा जाता है। वहीं अब धीरे-धीरे सभी भारतीय विश्वविद्यालय भारतीय परिधानों को अपना रहे हैं। इसके साथ ही गाउन पहनकर और सिर पर हैट लगाकर डिग्री लेने की परंपरा को खत्म होती जा रही है।
हाल में हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के दीक्षांत समारोह में भी छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के लिए भारतीय परिधान कुर्ता पैजामा, साड़ी और सलवार सूट को डिग्री लेने के लिए अनिवार्य किया गया था। वहीं अब 24 फरवरी को होने जा रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भी छात्र, छात्राएं और शिक्षक गाउन की जगह भारतीय परिधान पहनकर डिग्री प्राप्त करेंगे।
परिधानों का रंग होगा खास
दिल्ली विश्वविद्यालय का इस बार का दीक्षांत समारोह में कुछ खास होने वाला है। क्योंकी इस बार छात्र से लेकर शिक्षकों तक के परिधानों को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। ग्रेजुएट छात्र-छात्राओं के परिधान का रंग अलग होगा। वहीं, पोस्टग्रेजुएट के छात्र-छात्राओं और शिक्षक के परिधान के रंग अलग होगा। पीएचडी, डीएम और एमसीएच के विद्यार्थियों के लिए लाल रंग का गोल्डन बॉर्डर वाला हैंडलूम फैब्रिक स्टोल होगा, जिसके दोनों किनारों पर विश्वविद्यालय का लोगो और शताब्दी लोगो बने होंगे। अधिकारियों के लिए बैंगनी रंग का स्टॉल होगा। वहीं प्रिंसिपल और विभागाध्यक्षों के लिए मैरून रंग का स्टॉल होगा।
मैकाले की शिक्षा पद्धति में शामिल था गाउन
महाराजा अग्रसेन कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजीव तिवारी ने कहा कि गाउन की परंपरा 1835 में लागू की गई, जो लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति का परिचायक है। भारतीय परंपरा तो गुरुकुलों की परंपरा थी। जहां पर भारतीय पोशाक और वेशभूषा में रहकर विद्यार्थी विद्या अर्जन करते थे। लेकिन अंग्रेजों के शासनकाल में भारतीय परंपरा को खत्म करके अंग्रेजी परंपरा गाउन की परंपरा को लागू कर दिया गया।