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अंग्रेजों को रामलीलाओं से नफरत थी, लेकिन आजादी मिलने के बाद भी दिल्ली में पांच साल तक रावण दहन नहीं हो सका। जानिये वजह...

First Ravana Dahan in Delhi: देशभर में 12 अक्टूबर को दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय की प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। रामलीला कमेटियों के बीच रावण का बड़ा पुतला बनाने की होड़ मची रहती है। दिल्ली के द्वारका में भी रावण का सबसे विशाल पुतला बनाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा पुतला है। इसकी ऊंचाई 212 फीट है। रामलीला कमेटी ने दशहरा के लिए पीएम मोदी तक को न्यौता भेज दिया है।

आप सोच रहे होंगे कि हम देश के सबसे बड़े पुतलों पर बात करेंगे, लेकिन हमारा विषय अलग है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारत में रावण दहन की परपंरा कैसे शुरू हुई। साथ ही, यह भी बताएंगे कि दिल्ली में रावण दहन की कहानी पाकिस्तानियों से कैसे जुड़ी है। सबसे पहले बताते हैं कि दिल्ली में रावण दहन की परंपरा शुरू कैसे हुई...

दिल्ली में पहली बार रावण दहन कब हुआ

बताया जाता है कि दिल्ली में पहली बार 17 अक्टूबर 1953 को रामलीला मैदान में रावण दहन हुआ था। खास बात है कि इस पुतले को कागज या लकड़ी से नहीं बल्कि कपड़ों से बनाया गया था। आज दिल्ली में जगह-जगह रावण के बड़े पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन उस वक्त रावण के पुतले की ऊंचाई 15 फीट थी।

बताया जाता है कि दिल्ली में रावण दहन की प्रेरणा पाकिस्तानियों से मिली थी। दरअसल, पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों ने 1948 में सबसे पहले रावण दहन किया था। यह आयोजन झारखंड के रांची में किया गया था। वहां के लोगों ने पहली बार रावण दहन देखा था। धीरे-धीरे यह खबर दिल्ली तक पहुंची, जिसके बाद 17 अक्टूबर 1953 को पहली बार रावण के पुतले का दहन किया गया।

इस परिवार ने शुरू की रावण दहन की परंपरा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त पश्चिमी पाकिस्तान में रहने वाले लाला खिलंदा राम भाटिया कुछ रिफ्यूजी परिवारों को लेकर झारखंड के रांची पहुंचे थे। ये रिफ्यूजी पाकिस्तान में जुल्म दहशत का नजारा देखकर हंसना भूल गए थे। ऐसे में लाला खिलंदा राम भाटिया के परिवार ने विजयदशमी का त्योहार धूमधाम से मनाने का फैसला किया। इन्होंने 1948 में पहली बार रावण का पुतला दहन कर विजयदशमी का त्योहार धूमधाम से मनाया। कबायली ढोल नगाड़ों की धुन पर नृत्य हुआ।

रावण दहन का भव्य नजारा देखकर रांची के लोगों की आंखें चकाचौंध हो गई। इसके बाद साल दर साल यह उत्सव मनाया जाने लगा। पहले छोटे स्तर पर दशहरा उत्सव मनाया जाता था, लेकिन वक्त के साथ बड़ा आयोजन होने लगा। यहां की खबरें दूर तक पहुंची, तो अन्य स्थानों पर भी रावण दहन की परंपरा शुरू हो गई।

दिल्ली की मशहूर रामलीला

दिल्ली में हर जगह भव्य तरीके से बड़ी रामलीला का मंचन किया जाता है। दिल्ली की मशहूर रामलीला की बात करें तो लवकुश रामलीला, दिलशाद गार्डन रामलीला, मयूर विहार रामलीला, सूरजमल विहार रामलीला, द्वारका रामलीला शामिल हैं। अगर कभी दिल्ली आना हो तो यहां की रामलीला देखने के साथ ही यहां का रावण दहन भी देखियेगा, अलग ही मजा आएगा।

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