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Haryana High Court: सामाजिक-आर्थिक आधार पर कुछ वर्गों के कैंडिडेटों को अतिरिक्त अंक देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को HC ने असंवैधानिक करार दिया है। अब इसके खिलाफ हरियाणा सरकार SC का रुख करेगी।

Haryana Government Job Reservation: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार की नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर कुछ वर्गों के कैंडिडेटों को अतिरिक्त अंक देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित समाजिक आर्थिक मानदंडो को असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से हरियाणा सरकार को बड़ा झटका लगा है। अब इस पर प्रदेश के सीएम नायाब सैनी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

वंचितों को न्याय दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी

प्रदेश के सीएम नायब सैनी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए अतरिक्त 5 नंबर देने कि एक महत्वकांक्षी योजना हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई थी। जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट ने निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया गया। हरियाणा सरकार के नाते हम संवैधानिक और कानूनी परक्रियाओं के तहत इस लड़ाई को जारी रखेंगे और माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गरीबों, कमजोर और वंचितों को न्याय दिलाने की यह लडाई हरियाणा सरकार अंतिम विकल्प तक लड़ती रहेगी।

सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंको का प्रावधान

बता दें कि हरियाणा सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अंक देने का प्रावधान किया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है। इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। लिंक पर क्लिक कर खबर को विस्तार से पढ़िए...

हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका 

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है। अब हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। 

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