दिल्ली-एनसीआर में किराये के घर में रहना मुश्किल होता जा रहा है। इससे अच्छा है कि होम लोन लेकर घर खरीद लें। दरअसल, एनारॉक और मैजिकब्रिक्स जैसी प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म्स की मानें तो दिल्ली में एक साल में औसतन किराये में 17.4 फीसद का इजाफा देखा गया है। गुरुग्राम की बात करें तो यहां आवासीय परिसर के किराये में सर्वाधिक 31.3 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई है। खास बात है कि अगर होम लोन देखा जाए तो औसतन वार्षिक ब्याज दर 10.6 फीसद है, जो कि दिल्ली में औसतन किराया दर के मुकाबले 7.4 फीसद कम है। प्रॉपर्टी एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप होम लोन लेते तो, किराये के मुकाबले ब्याज पर कम खर्चा होता और संपत्ति भी कुछ सालों में आपकी हो जाती है।
रोहिणी दिल्ली के प्रॉपर्टी एक्सपर्ट्स अश्वनी अग्रवाल बताते हैं कि ज्यादातर लोग अब फ्लैट खरीदने के लिए रुझान दिखाने लगे हैं। जिनके पास पर्याप्त बजट नहीं है, वे भी सिक्योरिटी पर संपत्ति ले रहे हैं। यह प्रक्रिया ऐसी हैं, जिसमें आप रकम जमा कराते हैं और आपको किराया नहीं देना पड़ता है। जब आप प्रॉपर्टी खाली करेंगे तो आपको पूरा जमा राशि वापस कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 2 कमरों वाले फ्लैट की सिक्योरिटी राशि 5 से 8 लाख और तीन कमरों वाले फ्लैट की सिक्योरिटी 9 से 15 लाख के बीच रहती है। साथ ही, इस सिक्योरिटी राशि का अधिक या कम होना लोकेशन के हिसाब से भी प्रभावित रहता है।
सिक्योरिटी पर फ्लैट लें या होम लोन?
पूजा प्रॉपर्टी के मालिक सोनू मलिक का कहना है कि रोहिणी में 2 बीएचके की कीमत 25 से 35 लाख के आसपास है। अगर 10 लाख रुपये है, तो बाकी राशि पर आसान से होम लोन मिल जाता है। जिनके पास इतनी राशि नहीं है, वो भी सिक्योरिटी पर संपत्ति ले सकते हैं। इससे किराया भरने की समस्या नहीं होगी और घर खाली करने पर सिक्योरिटी राशि भी पूरी वापस मिल जाती है। उन्होंने कहा कि लोकेशन के हिसाब से सिक्योरिटी राशि अधिक या कम होती है, लेकिन यह राशि वापस किरायेदार को मिल जाती है, लिहाजा घबराने की जरूरत नहीं है। जितनी ज्यादा सिक्योरिटी राशि होगी, समझिये उतनी बचत होगी। हालांकि नए फ्लैट खरीदने में अभी भी लोगों का रुझान नहीं दिख रहा, लिहाजा रियल इस्टेट में अभी भी मायूसी है।
इसलिए लोग नहीं ले रहे सुविधा का लाभ
जब कुछ नौकरीपेशा लोगों से बात की, तो पता चला कि प्राइवेट नौकरी होने के कारण जोखिम उठाने से बच रहे हैं। डर है कि कहीं नौकरी चली गई, तो ईएमआई कैसे भरी जाएगी। चूंकि किराये के मकान में पहले ही दो महीने का किराया भर देते हैं, लिहाजा नौकरी चली गई तो कम से कम एक महीने तक कोई किराया नहीं देना होता है। हालांकि जब सिक्योरिटी पर आवास की थ्यूरी पर बातचीत की तो ज्यादातर ने कहा कि वो भी इसकी दिशा में सोच रहे हैं।
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ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म एऑन ग्रुप के हवाले से बताया गया है कि भारत में पिछले साल औसत वेतन वृद्धि दर घटकर 9.7 फीसद देखी गई है। 2023 से पहले 2022 में औसतन वेतन वृद्धि 10.6 फीसद थी। इनके मुताबिक, 2024 में भी राहत नहीं मिलेगी। इस साल भी वेतन वृद्धि घटकर औसतन 9.5 रहने की संभावना है। यह दर्शाता है कि अगर आपने अभी तक खुद के घर का इंतजाम नहीं किया और इसी तरह वेतन वृद्धि में औसतन गिरावट जारी रहती है, तो आने वाले समय में किराया भरना भी मुश्किल हो जाएगा।