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Rules For Pet Dogs: दिल्ली के जगतपुरी इलाके में पिटबुल डॉग ने 7 वर्षीय बच्ची को बुरी तरह से जख्मी कर दिया। यह पहली ऐसी घटना नहीं है, इससे पहले भी कई मासूम पालतू कुत्तों का शिकार बन चुके हैं। हम मानते हैं कि डॉग पालना बुरी बात नहीं है, लेकिन ऐसे खूंखार कुत्तों को पालने वाले लोगों की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है। पढ़िये क्या हैं वो नियम, जो लापरवाही बरतने वाले डॉग मालिकों पर नकेल कसने के लिए बनाए हैं।

Rules For Pet Dogs: दिल्ली के जगतपुरी इलाके में शुक्रवार की शाम को सात वर्षीय बच्ची पर पिटबुल डॉग ने अटैक कर दिया। इस पालतू डॉग ने जहां बच्ची को बुरी तरह से घसीटा, वहीं शरीर के कई अंगों पर भी गहरे घाव बना दिए। गनीमत यह रही कि आसपास के लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद इस मासूम को उसके चंगूल से बचा लिया। हालांकि यह पहली ऐसी घटना नहीं है। इससे पहले भी मासूम पिटबुल जैसे खूंखार कुत्तों के शिकार बन चुके हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसे खूंखार कुत्ते पालने वालों पर क्या कार्रवाई हो सकती है। आइये विस्तार से बताते हैं...

पालतू कुत्तों को भौंकने की भी इजाजत नहीं?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुत्तों को पालने के लिए कई नियम तय किए गए हैं। नियमों में स्पष्ट किया गया है कि किसी कुत्ते को पालने से पड़ोसियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आनी चाहिए। मसलन, अगर रात के समय कुत्ता भौंकता है, जिससे पड़ोसियों की नींद में खलल पड़ता है, तो वो एसडीएम कार्यालय की हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। यह शिकायत सीधे संबंधित पुलिस स्टेशन पर पहुंचती है, जिसके बाद पुलिस को उक्त घर जाकर तय करना पड़ता है कि शिकायत सही है या नहीं। चाहे शिकायत सही हो या गलत, लेकिन पुलिस बाध्य होती है कि उस शिकायत का निवारण करके वापस एसडीएम कार्यालय को सूचित करती है। इसका अर्थ यह है कि एसडीएम कार्यालय में आई शिकायत का पुलिस आपसी समझौता नहीं करा सकती है। पुलिस को आरोपी को शिकायत देनी पड़ती है कि आगे से ऐसी शिकायत नहीं होनी चाहिए। अगर दोबारा से ऐसी शिकायत आती है, तो पुलिस को उस पर जुर्माना लगाना पड़ता है, जबकि तीसरी बार शिकायत पर आने पर मामला दर्ज कर डॉग ऑनर को कोर्ट में पेश करना पड़ता है।

अगर कुत्ता काट ले तो मालिक के खिलाफ सीधा केस

यही नहीं, अगर कोई पालतू कुत्ता काट ले, तो भी सीधे पुलिस थाना जाकर उसके मालिक के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 289 का प्रावधान है। यह धारा बताती है कि अगर पालतू जानवर की वजह से किसी इंसानी जिंदगी की जान खतरे में पड़ती है या कोई नुकसान होता है, तो उसके मालिक के खिलाफ छह महीने की जेल, जुर्माना और दोनों का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, कुत्ते पालने के लिए कई अन्य नियम भी प्रशासन की ओर से तय किए गए हैं।

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प्रशासन की ओर से तय किए गए हैं ये नियम
  1. पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। अलग-अलग जिलों में यह फीस अलग हो सकती है।
  2. कुत्ते को रेबीज का इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। समय-समय पर रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराना जरूरी है।
  3. एक फ्लैट में ज्यादा से ज्यादा दो ही कुत्तों का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
  4. पालतू कुत्ते की वजह से आसपास के लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
  5. सार्वजनिक स्थानों पर ले जाते समय कुत्तों के मुंह पर मजल लगाना जरूरी है।
  6. पालतू को बाहर ले जाते समय किसी दूसरे व्यक्ति के घर के बाहर गंदगी न फैले, यह सुनिश्चिचत करना जरूरी है।
  7. पालतू कुत्ता आक्रामक है, तो उसकी छह माह की उम्र में ही निगम को शपथ पथ देना आवश्यक है।
  8. आक्रामक कुत्ते की उम्र छह माह से ज्यादा होने पर उसका बध्याकरण कराकर नगर निगम को 10 दिन में सूचना देनी होगी।
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