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History Of Mukherjee Nagar: दिल्ली का मुखर्जी नगर इलाका जिसे आज स्टूडेंट्स का मक्का कहा जाता है। जहां पूरे देश से छात्र यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए छात्र आते हैं।  

History Of Mukherjee Nagar: दिल्ली का मुखर्जी नगर आज अपनी एक अलग पहचान रखता है। जिसे स्टूडेंट्स का मक्का भी कहा जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए दिल्ली आने वाले छात्रों के जमघट ने इसको अलग पहचान दे दी है। कभी यह इलाका इस पहचान से एकदम अलग हुआ करता था। लेकिन आज यहां छात्र अपना करियर बनाने के लिए पढ़ने और रहने आते हैं।

मुखर्जी नगर के एक इंस्टीट्यूट के फैकल्टी सीनियर डॉ संजन कुमार ने 1995 से अब तक के दौर को अपनी आंखों से देखा है। वह बताते हैं कि कैसे 1996 के समय यहां छोटे-छोटे कोचिंग संस्थान हुआ करते थे। साल 2000 के दौर में चाणक्य आईएएस ने अपना सेंटर खोला। इसके बाद इस छोटे से इलाके का तेजी से विकास हुआ और बाद में कई इंस्टीट्यूट खुलते चले गए।

मुखर्जी नगर ही क्यों बना कोचिंग हब

यूपीएससी का पहले जो पैटर्न था उसमें एकेडमिक सपोर्ट हुआ करता था। पहले दो ऑप्शनल पेपर हुआ करते थे। इसमें एकेडमी के छात्र ज्यादा परीक्षा पास होते थे। जो छात्र पहले ही अच्छे कॉलेज से पढ़ रहे होते थे, वे ही यूपीएससी निकाल पाते थे। लेकिन पैटर्न बदलने के बाद अब कॉलेजों से डॉक्टर और इंजीनियर ज्यादा निकलते हैं, पहले का पैटर्न अलग था जिसकी ऑप्शनल पर पकड़ अच्छी होती थी तो वे यूपीएससी क्लीयर कर लेते थे। इसलिए छात्र डीयू के पास विजय नगर, शक्ति नगर में रहते थे, लेकिन वहां इतना स्पेस भी नहीं था।

इसलिए छात्र मुखर्जी नगर की तरफ मूव करने लगे। यहां आसानी से प्राइवेट फ्लैट अवेलेबल होते थे। खुलापन तो था ही, साथ ही कमर्शियल कॉम्पलेक्स थे, तो कोचिंग के लिए कोई रोकने वाला नहीं था। दूसरी बात कि ये इलाका दिल्ली यूनिवर्सिटी के नजदीक भी था।

पाकिस्तान माइग्रेंट का था इलाका  

ऐसा कहा जाता है की यहां बड़ी संख्या में पाकिस्तान माइग्रेंट आकर बसे थे। उन्हें 175 यार्ड का प्लाट मिला था। फिर साल 1995 के आसपास वे अपना प्लाट काफी सस्ते में बेचकर जाने लगे। इस इलाके पर बिल्डर्स की नजर पड़ चुकी थी और वे वहां बिल्डिंग बनाकर चार पांच करोड़ में बेचने लगे। मुखर्जी नगर खुला इलाका था, तो लोग इसे ज्यादा प्रेफर भी करते थे। बत्रा सिनेमा के पास लोग खुले में डिबेट भी किया करते थे। 

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2006 से बना छात्रों का हब  

साल 2006 के आसपास यहां पर छात्रों की संख्या बढ़ी जब यहां एसएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट खुलने शुरू हो गए। जिसे लीड कर रहा था पैरामाउंट कोचिंग, इसी के बाद छात्रों की भी गैदरिंग बढ़ी। मुखर्जी नगर अब यूपीएससी से ज्यादा एसएससी और वनडे एग्जाम जैसे रेलवे, बैंकिंग परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का हब बन गया है। भारी मात्रा में छात्रों की संख्या बढ़ने के बाद कंपटीशन बढ़ा और कोचिंग संस्थानों ने भी खुद को अपडेट किया है।

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