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नई दिल्ली विधानसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां दो पूर्व सीएम के बेटे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उतरे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या केजरीवाल अपनी सीट बचा पाएंगे?

Delhi Assembly Election 2025:दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतना इस बार उतना आसान नहीं है। जितना आम आदमी पार्टी समझ रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी भी जिताऊ उम्मीदवारों के सहारे ही आगामी चुनाव में उतरी है। ये ही वजह है कि दोनों ही पार्टियों ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारे हैं, जो आप संयोजक और पूर्व सीएम का नई दिल्ली विधानसभा सीट पर खेल बिगाड़ सकते हैं।

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दरअसल, नई दिल्ली विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है, जिसका रास्ता सीधा दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जाता है, जो भी प्रत्याशी यहां से चुनाव जीतता है, उसी की पार्टी की सरकार बनती हैं और उसे ही सीएम चुना जाता है। कांग्रेस की शीला दीक्षित यहां से 3 बार चुनाव जीतीं तो तीन बार मुख्यमंत्री बनीं। वहीं अरविंद केजरीवाल भी तीन बार नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। इस बात की जानकारी अरविंद केजरीवाल को भी है और ये ही वजह है कि वह आगामी चुनाव को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं।

हालांकि, दो योजनाओं 'महिला सम्मान योजना' और 'संजीवनी योजना'को लेकर वो फंसते हुए भी नजर आ रहे हैं। इसी बीच बीजेपी ने भी केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ा दी है। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को उतार दिया है। जबकि, कांग्रेस पहले ही इस सीट पर पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दे चुकी है। इस बार अरविंद केजरीवाल का मुकाबला दो पूर्व सीएम के बेटों से होगा। इसलिए उनके लिए दिल्ली विधानसभा की सीट निकालना आसान नहीं है।  

दिल्ली में आठवीं बार होंगे विधानसभा चुनाव 

बता दें कि राजधानी दिल्ली में 1993 में विधानसभा का गठन हुआ था और पहली बार 1993 में चुनाव हुए थे। तब बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता हासिल की थी। उस समय बीजेपी 49 सीटों पर कब्जा किया था। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें मिली थीं। अब तक दिल्ली में सात बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिनमें 3 बार कांग्रेस जीती है और तीन बार आम आदमी पार्टी ने बाजी मारी है। हालांकि, इस बार मुकाबला थोड़ा कठिन होने वाला है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर नजर आ रही हैं। भाजपा का पूरा प्रयास है कि इस चुनाव को जीते। ताकि, 26 साल के वनवास को खत्म कर सके। दिल्ली में इस बार आठवीं बार विधानसभा चुनाव होंगे।

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