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नोएडा-ग्रेनो के किसानों ने दिल्ली कूच का अपना फैसला टाल दिया है। अब किसान अगले सात दिनों तक दलित प्रेरणा स्थल पर धरना देंगे। किसानों का मानना है कि इस दौरान सरकार से उनकी समझौते वाली बातचीत हो सकती है।

Noida Farmers Protest: नोएडा-ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण के किसानों ने बढ़े मुआवजे समेत अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच की योजना बनाई थी। लेकिन प्राधिकरण और पुलिस-प्रशासन के साथ लंबी बातचीत के बाद उन्होंने सात दिन तक दिल्ली कूच न करने का फैसला किया। इस दौरान किसान दलित प्रेरणा स्थल पर ही धरना देंगे।  

क्या है पूरा मामला?
  
किसान अपनी बड़ी मांगों, जैसे 10 फीसदी आबादी भूखंड, 64.7 फीसदी अधिक मुआवजा और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत लाभ, को लेकर आंदोलन पर बैठे हुए हैं। इसके अलावा वे रोजगार, पुनर्वास और बुलडोजर कार्रवाई पर रोक की भी मांग कर रहे हैं।  

दिल्ली कूच के दौरान कैसा रहा मंजर 

सोमवार को हजारों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और अन्य वाहनों से दलित प्रेरणा स्थल पहुंचे। नोएडा-दिल्ली सीमा पर पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और महामाया फ्लाईओवर पर धरने पर बैठ गए। जिसकी वजह से महामाया फ्लाईओवर पर जाम के कारण डीएनडी, चिल्ला बॉर्डर, कालिंदी कुंज और अन्य मार्गों पर चार किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। कई घंटे तक यातायात बाधित रहा, जिससे लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। शाम 4 बजे किसानों के सड़क से हटने के बाद स्थिति सामान्य हुई।  

किसान आंदोलन में कैसा रहा प्रशासन का रुख  

नोएडा के एडिशनल पुलिस कमिश्नर शिवहरि मीणा ने बताया कि किसानों को रोकने के लिए थ्री टियर सिक्योरिटी सिस्टम की गई है। 5,000 पुलिसकर्मी और 1,000 पीएससी कर्मियों को तैनात किया गया। वाटर कैनन, टीजीएस दस्ते और अग्निशमन दल भी तैयार रखे गए।  

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दिल्ली में एंट्री की इजाजत नहीं  

दिल्ली पुलिस ने संसद सत्र के मद्देनजर किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। दिल्ली के डीएनडी, कालिंदी कुंज और अन्य सीमाओं पर पुलिस और आरएएफ की तैनाती थी।  

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सात दिन की मोहलत, फिर होगा आंदोलन तेज

प्राधिकरण और पुलिस से बातचीत के बाद किसानों ने सात दिन तक दिल्ली कूच न करने का फैसला किया। इन सात दिनों में सरकार से उनकी मांगों पर ठोस समाधान की उम्मीद है। अगर मांगे नहीं मानी गईं, तो किसान फिर से दिल्ली कूच करेंगे। वहीं आंदोलन को लेकर किसानों का कहना है कि उनकी लड़ाई सरकार से नहीं, बल्कि प्राधिकरण से है। अगर समाधान नहीं मिला, तो आंदोलन और तेजी से बढ़ेगा।

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