Delhi Jail Rules: दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना ने गुरुवार को कारागार नियमावली-2018 में संशोधन संबंधी एक प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। जिसके बाद अब जिन कैदियों की सजा की अवधि आधी हो गई है और आयु 70 साल से ऊपर व अधिक उम्र है और दुर्बल हो गए हैं, उनकी समय पूर्व रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन यह संशोधन उन दोषियों पर लागू नहीं होगा, जो उम्र कैद या मौत की सजा का सामना कर रहे हैं।
इन कैदियों को मिलेगी जल्दी रिहाई
इसके अलावा यह संशोधन देशद्रोह, आतंकवाद और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत दोषियों पर भी लागू नहीं होगा। इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि दुर्बल या बीमार बुजुर्ग कैदियों की समय पूर्व रिहाई से दिल्ली की तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जैसी भीड़भाड़ वाली जेलों में भीड़ कम करने में मदद मिलेगी।
इन जेलों की कुल क्षमता केवल 10 हजार 26 कैदियों की है, जबकि उनमें 20 हजार से अधिक कैदियों को रखा गया है। इस बारे में एलजी ने एक आकलन समिति का गठन करने के निर्देश दिए हैं, जो किस कैदी को रिहा करना है इसका फैसला लेगी। कारागार नियमों में संशोधन दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एलजी को भेजे गए प्रस्ताव पर लिया गया है।
बता दें कि अदालत में एक रिट याचिका में, जेल सुधार पर अखिल भारतीय समिति (1982-1983 मुल्ला समिति) और आदर्श जेल नियमावली-2003 के तहत की रिपोर्ट के आधार पर दुर्बल कैदियों को समय पूर्व रिहा करने का अनुरोध किया गया था। मौजूदा समय में दिल्ली कारागार नियम-2018 के नियम 1251 के तहत केवल उम्र कैद की सजा पाए और 14 साल की सजा पूरी करने वाले कैदी को ही सजा समीक्षा बोर्ड की अनुशंसा पर रिहा किया जा सकता है।